अकसर आपने सुना होगा की किसी राज्य की किसी वस्तु जो की वहां काफी प्रचलित है उसे जीआई टैग दिया गया है। या एक ही वस्तु जो लगभग तीन या चार राज्यों में विशेष रूप से उत्पादित होती है उसके लिए किसी एक राज्य या दो तीन राज्यों को उस वस्तु के लिए जीआई टैग दिया गया हो। जीआई टैग को लेकर कई बार दो राज्यों के बीच विवाद भी पैदा हुआ। बता दें की जीआई टैग का पूरा नाम Geographical Indication Tag है जिसे हिंदी में ”भौगोलिक संकेत” कहा जाता है।
जीआई टैग की मुख्य विशेषताएं
Gi Tag (जीआई टैग) किसी क्षेत्र के विशेष उत्पाद को दिया जाता है। यह टैग उस स्थान को दुनिया भर में अलग और विशेष पहचान दिलाता है। जब किसी क्षेत्र में पायी जाने वाली किसी प्रकार की वस्तु या उत्पाद को दुनिया भर में तवज्जो दी जाती है । तो उसे उसी स्थान के होने के लिए प्रमाण की आवश्यकता होती है ऐसे में उस क्षेत्र की वस्तु को प्रमाणित करने के लिए उसे एक स्थाई टैग दिया जाता है जिसे हम Gi Tag यानी Geographical Indication Tag कहते हैं।
झारखंड में सिर्फ सोहराय कोहबर कला को जी आई टैग प्राप्त है
मालूम हो की झारखण्ड में देवघर के पेड़ों को gi टैग मिलने के बाद दूसरी मर्तबे झारखण्ड का नाम दुनिया भर में छाएगा। बताते चलें वर्तमान समय में झारखंड में सिर्फ सोहराय कोहबर कला को जी आई टैग प्राप्त है।