बोकारो में अनुबंध पर काम कर रहे पारा चिकित्सा कर्मी सिविल सर्जन कार्यालय के मुख्य द्वार पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे। पारा स्वस्थ कर्मियों की माने तो वह लंबे समय से अनुबंध पर काम कर रहे हैं ऐसे में समान कार्य के बदले समान वेतन देने की बात कई बार की गई लेकिन अब तक उन्हें समायोजित यानी परमानेंट नहीं किया गया। जबकि लगभग 8 हजार पारा स्वास्थ्य कर्मी पिछले 10 से 15 साल से स्वास्थ सेवा दे रहे हैं और उन्हें झारखंड सरकार की तरफ से परमानेंट करने को लेकर केवल आश्वासन दिए जा रहे हैं इसीलिए इस बार अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने की वह बात कर रहे हैं।
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“अभी करो अर्जेंट करो हम को परमानेंट करो” नारों के साथ कर रहे गुहार
आंदोलन कर रहे पारा स्वास्थ्य कर्मी ने “अभी करो अर्जेंट करो हम को परमानेंट करो” के नारे के साथ अपनी आवाज को बुलंद करने में लगे हुए हैं। झारखंड अनुबंध पारा चिकित्सा कर्मी की माने तो कोरोना काल के दौरान भी उन्होंने बढ़-चढ़कर के हिस्सा लिया जब लोग घरों में दुबके थे तब उन्होंने जान की परवाह ना करते हुए मरीजों की सेवा की और अभी भी वह सेवा दे रहे हैं लेकिन कम वेतन मिलने से गुजारा नहीं हो पा रहा है ऐसे में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठना हमारा मजबूरी है। हड़ताल कर रहे हैं स्वस्थ कर्मियों का कहना है कि सरकार हमारी मांगे पूरी करें और हमें परमानेंट करें।
पूर्वी सिंहभूम में भी अनुबंध कर्मी अपनी मांगों को लेकर दिखे जोशीले
झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी संघ, झारखंड अनुबंधित एएनएम, जीएनएम संघ के बैनर तले नियमित मांग को लेकर पूरे राज्य में स्वास्थ्य अनुबंध कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए इधर पूर्वी सिंहभूम जिले के स्वास्थ्य अनुबंध कर्मी भी जिला सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे।
चरमराने लगी है ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था
ये अनुबंध कर्मी पिछले 16 से 17 वर्षों से स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी सेवा अनुबंध कर्मी के रूप में दे रहे हैं कई बार राज्य सरकार से नियमितीकरण को लेकर इनकी वार्ता हुई पर निष्कर्ष शून्य निकला थक हार कर आंदोलन का रूप अख्तियार करते हुए पूर्वी सिंहभूम जिला समेत पूरे राज्य से लगभग 10,000 की संख्या में अनुबंध कर्मियों ने आंदोलन का बिगुल फूंकते हुए झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी संघ, झारखंड अनुबंधित एएनएम ,जीएनएम संघ के बैनर तले अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं, जहां इनके हड़ताल पर चले जाने से ग्रामीण क्षेत्र में काफी हद तक स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराने लगी है ।