बिहार के सीएम Nitish Kumar ऐसी स्थिति में आ चुके हैं कि यह कहा जा सके कि नेता उनका साथ छोड़ रहे हैं। भले ही अगस्त 2022 में नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ अपनी मर्जी से छोड़ा हो, लेकिन उसके बाद जनवरी 2023 तक गंगा में बहुत पानी निकल गया। यानि तब जो साथ थे, आज खिलाफ हैं। ताजा और प्रत्यक्ष उदाहरण उपेंद्र कुशवाहा का है। हालांकि उपेंद्र कुशवाहा की भाव-भंगिमा को पढ़ें या राजनीतिक हलकों की कयासबाजी पर गौर करें, बताया तो यह भी जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा आखिरी नाम नहीं होंगे। अभी कुछ और विधायक, विधान पार्षद, सांसद या नेता नीतीश कुमार का साथ छोड़ सकते हैं। लेकिन नीतीश कुमार हैं कि उन्हें फर्क नहीं पड़ रहा। बल्कि वो अड़े हैं अपने उस सपने को पूरा करने में जो पहले शायद कभी नहीं हुआ। नीतीश कुमार को अभी भी आस है कि भाजपा के खिलाफ और कांग्रेस के साथ, सम्पूर्ण विपक्ष की एकता का ताना-बाना वो बुन लेंगे।
Nitish की राजनीतिक कुंडली में ‘राहु-मंगल-शनि’, ‘त्रिदेव’ ने लगा दिया ग्रहण
अभी नहीं छोड़ी विपक्षी एकता की उम्मीद
अगस्त 2022 में बिहार में सियासी उठापठक के बीच नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता का नारा बुलंद किया। इस नारे को हकीकत में बदलने के लिए नीतीश कुमार ने अलग अलग कई विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात भी की। लेकिन तब का जोश बीच में ठंडा पड़ गया। किसी दूसरे नेता ने नीतीश कुमार के कदम से कदम मिलाया नहीं। लगा कि विपक्षी एकता की बजाय नीतीश कुमार बिहार पर फोकस करने लगे हैं। बिहार में भाजपा को पटकने के लिए वे हर काम करेंगे लेकिन देश भर में आगे नहीं बढ़ेंगे। लेकिन अब एक बार फिर ऐसा लग रहा है कि नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता की उम्मीद छोड़ी नहीं है।
दो धड़ों में बंट गई JDU! कुशवाहा के समर्थन में उतरे JDU के MLC
सबको दे रहे हैं साथ बैठने का वक्त
दरअसल, पिछले दिनों नीतीश कुमार ने एक बयान दिया कि बिहार में बजट सत्र के बाद वे देश भर की यात्रा पर निकलेंगे। जाहिर तौर पर यही कयास लगाया गया कि विपक्षी एकता जुटाने का एक और दौरा होगा। अब नीतीश कुमार ने एक बार फिर इसी बात को आगे बढ़ाया है। सीएम नीतीश कुमार ने मीडिया से एक बार फिर कहा कि एक बार वे हर पार्टी से बातचीत कर चुके हैं। अभी कई पार्टियों का अपना-अपना कार्यक्रम चल रहा है। जब उनका कार्यक्रम खत्म हो जाएगा और वे बुलाएंगे तो बात आगे बढ़ेगी। कितने दल आगे मिलकर काम करेंगे, यह बैठकर तय हो जाएगा। लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा दिन नहीं हैं। हमलोग इंतजार कर रहे हैं कि सभी दल एक साथ बैठकर चर्चा करें।
KCR के बुलावे से बढ़ा उत्साह?
नीतीश कुमार जब दुबारा विपक्षी एकता का कांफिडेंस दिखा रहे हैं तो इसके पीछे केसीआर द्वारा सीएम को भेजा गया आमंत्रण बताया जा रहा है। वैसे केसीआर भी विपक्षी एकता के लिए काम कर रहे हैं। 18 जनवरी को तेलंगाना के खमम्म में उन्होंने रैली भी की थी। लेकिन उस रैली में उन्होंने उन्हीं पार्टियों के नेताओं को बुलाया था जो भाजपा और कांग्रेस से बराबर की दूरी बनाए हुए हैं। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव उस रैली में आमंत्रित नहीं थे। इसके पीछे का कारण यही बताया जा रहा है कि कांग्रेस के साथ ये दोनों बिहार में सरकार चला रहे हैं। लेकिन अब 17 फरवरी को केसीआर हैदराबाद में एक रैली कर रहे हैं। इस रैली में नीतीश और तेजस्वी दोनों को निमंत्रण दिया गया है। हालांकि, नीतीश इस रैली में शामिल नहीं होंगे। उनकी जगह ललन सिंह और राजद से तेजस्वी हैदराबाद जाएंगे।