झारखंड भले खनिज- संपदाओं से परिपूर्ण प्रदेश है, मगर खेती की भी इस प्रदेश में अपार संभावनाएं हैं। जरूरत यहां के किसानों को उन्नत तकनीक से खेती करने की है। राज्य के ज्यादातर जिले आज भी वर्षा आधारित खेती या पारंपरिक खेती पर निर्भर हैं। अच्छी बारिश से कभी- कभी किसान भरपूर फसल उपजाते हैं, जिस वजह से उन्हें उचित लाभ नहीं मिल पाता, जबकि बारिश नहीं होने पर किसानों को दोहरा मार झेलना पड़ता है। मगर पूर्वी सिंहभूम जिले के किसानों के लिए अच्छी खबर है। जहां के किसानों को अब बिरसा कृषि विश्वविद्यालय स्ट्रॉबेरी की खेती कराने जा रही है। इसके लिए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय जिले के किसानों को निःशुल्क प्रशिक्षण देगी। आपको बता दें कि स्ट्रॉबेरी का बाजार में काफी डिमांड है और इसे काफी दिनों तक तो स्टोर कर रखा जा सकता है।
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जाने स्ट्रॉबेरी का इस्तेमाल किन किन चीजों में की जाती है
स्ट्रॉबेरी का उपयोग आइसक्रीम, केक, सॉफ्ट ड्रिंक जैसे प्रचलित खानपान में किया जा रहा है जिसे लोग खूब पसंद करते हैं। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से पूर्वी सिंहभूम जिले के किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती का निःशुल्क प्रशिक्षण देने की शुरुआत की गई है। जिसमें आवास और भोजन की व्यवस्था भी नि:शुल्क की गई है। इसकी जानकारी वरीय वैज्ञानिक सह प्रधानाध्यापक डॉक्टर आरती बिन एक्का ने दिया। उन्होंने बताया कि किसान भाई यहां रह कर स्ट्रॉबेरी के खेती के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। सीमित
संसाधनों में भी इसकी खेती की जा सकती है। इसमे पानी की आवश्यकता काफी कम पड़ती है। वैसे देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या वाकई किसान पारंपरिक खेती को छोड़ स्ट्रॉबेरी की खेती की ओर कदम बढ़ाते हैं ! बहरहाल बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की पहल वाकई सराहनीय है इसे झारखंड के किसानों के लिए एक उम्मीद के रूप में देखी जा सकती है।