बिहार में करीब डेढ़ महीने तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समाधान यात्रा की। उनकी ये यात्रा 16 फरवरी को समाप्त हो गई। इस डेढ़ महीने में उनका पूरा फोकस आम लोगों की समस्याओं के समाधान पर रही। यात्रा के दौरान हर जिले की सरकारी योजनाओं की समीक्षा करते, जीविका दीदियों से मिलते और लोगों की समस्याएं सुनते दिखे। लेकिन लोगों की समस्याएं दूर करते -करते CM Nitish Kumar के सामने कई सियासी व्यवधान पैदा हो गए हैं। कुछ राजनीतिक समस्याएं नई हैं, तो कुछ पुरानी समस्यायों ने जोर पकड़ लिया। वहीं कुछ एवरग्रीन समस्याएं, जो हमेशा ही नीतीश कुमार के पीछे रहती हैं, उन्होंने भी अपना नया रंग पकड़ लिया।
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उपेंद्र कुशवाहा कांड
नई समस्याओं में सबसे पहला JDU एमएलसी Upendra Kushwaha से जुड़ा हुआ है। उपेंद्र कुशवाहा जो कल तक नीतीश कुमार के फ्रंट गार्ड बने हुए थे। नीतीश कुमार की तरफ आने वाले सभी तीरों को खुद पर न सिर्फ झेल लेते थे, बल्कि उनका जवाब भी देते थे। अब सबकुछ बदल गया है। अब उपेन्द्र कुशवाहा खुद ही नीतीश कुमार को अपने तीर से घायल करने में लगे हुए हैं। आए दिन उनके तेवर गरम होते जा रहे हैं। इतना होने के बाद भी, वे जदयू छोड़ने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। बल्कि जदयू में रहकर नीतीश कुमार के खिलाफ एक धड़ा तैयार करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इधर नीतीश कुमार उपेंद्र कुशवाहा को लेकर किए गए सवालों से सिर्फ पल्ला झाड़ते दिखे हैं। अब तक इस समस्या का कोई उचित समाधान वो नहीं ढूंढ पाए हैं।
मंत्रिमडल विस्तार पर फंसा पेंच
नीतीश कुमार के सामने एक नई समस्या खत्म नहीं हुई थी कि दूसरी ने जन्म ले लिया। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर महागठबंधन में पेंच फंसा हुआ है। बिहार में महागठबंधन की सरकर बने 6 महीने का वक्त हो चुका हैं। इस बीच राजद कोटे के दो मंत्रियों ने इस्तीफा भी दिया। जिसके बाद से कुछ मंत्री खाली पड़े हुए हैं। कांग्रेस की तरफ से लगातार मंत्रिमंडल विस्तार की मांग की जा रही है। कांग्रेस, मंत्रिमंडल में अपनी भागीदारी बढ़ाने की आस लगाए हुए है। मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट हुई तो नीतीश कुमार ने इससे सीधे किनारा कर लिया और इसे लेकर फैसला लेने का पावर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को ट्रांसफर कर दिया। वहीं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कांग्रेस के मनमुताबिक भागीदारी देने से साफ इनकार कर रहे। जिसको लेकर तकरार बढ़ी हुई है। ये गुत्थी भी फिलहाल सुलझती हुई नहीं दिख रही है।
KCR ने नीतीश से किया किनारा
ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार की राजनीतिक समस्याएं सिर्फ बिहार तक ही सीमित हैं। राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक समस्याएं भी उनके पीछे पड़ी। अगस्त 2022 में जब नीतीश ने महागठबंधन के साथ सरकार बनाई, तो बड़े अरमानों के साथ विपक्षी एकजुटता को लेकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री KCR को पटना बुलाया, एक साथ मंच साझा किया। उस दौरान प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारी को लेकर किए गए सवालों पर नीतीश असहज भी दिखे। मिलाजुला कर नीतीश कुमार की तरफ से इस मुलाकात को सफल दिखने की कोशिश की गई। लेकिन 18 जनवरी को जब KCR ने तेलंगाना के खम्मम में एक विशाल रैली की तो उन्होंने नीतीश कुमार से किनारा कर लिया। निमंत्रण ना दिए जाने के सवाल पर नीतीश कुमार समाधान यात्रा में व्यस्तता का हवाला देकर खुद को बचाते भी दिखे।
IPS विकास वैभव और DG शोभा अहोतकर विवाद
IPS विकास वैभव और DG शोभा अहोतकर के विवाद को लेकर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर फजीहत हो रही है। दरअसल, पूरा मामला तब शुरू हुआ जब IPS विकास वैभव ने ट्वीट कर DG शोभा अहोतकर पर उन्हें और बिहारियों को गाली देने का आरोप लगाया। इसके बाद DG शोभा अहोतकर की तरफ से IPS विकास वैभव को नोटिस भी थमाया गया। मामला बिहारी अस्मिता से जुड़ा हुआ है इस लिए आम लोग भी नीतीश कुमार का जमकर विरोध कर रहे हैं। वहीं राजनीतिक रूप से तो नीतीश कुमार के राज में अफसरशाही के हावी होने को लेकर सवाल उठाया जा रहा है।
सुधाकर सिंह के तेवर
पुरानी समस्याओं ने भी नीतीश को चारों तरफ से घेरा हुआ है। इसमें सबसे पहला नाम पूर्व कृषि मंत्री और राजद विधायक सुधाकर सिंह का है। सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार की समाधान यात्रा से ठीक पहले शिखंडी और भिखारी कहा था। वहीं समाधान यात्रा के खत्म होते उनके तेवर और उग्र हो गए हैं। अब सुधाकर सिंह नीतीश कुमार के राजनीतिक अस्तित्व पर सवाल उठा रहे हैं। वो नीतीश कुमार पर राजनीतिक प्रतिबंध लगाने की बात कर रहे हैं क्योंकि वे चुनाव लड़कर नहीं चुने जाते हैं। सुधाकर सिंह नीतीश कुमार को खुलेआम पिछले दरवाजे से राजनीति करने वाला नेता भी बताया है। साथ ही ये चुनौती भी दी है कि यदि नीतीश कुमार में दम है तो खुद चुनाव लड़कर अपनी सरकार बना कर दिखाएं। उन्होंने नीतीश कुमार पर गुंडों की सरकार चलने का भी आरोप लगाया है।
नीतीश के एवरग्रीन समस्या मांझी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी एक एवरग्रीन समस्या हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस शराबबंदी को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं, उसपर समय समय पर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी कुछ न कुछ ऐसा बोल देते हैं जो नीतीश कुमार के लिए समस्या खड़ी कर देता है। मांझी कई बार गरीबों को एक क्वार्टर पीने की छूट देने के साथ गुजरात की तर्ज पर शराबबंदी कानून लागू करने की बात कही है। कुछ दिनों पहले मांझी ने गया में एक कार्यक्रम के दौरान जनसभा में शराबबंदी कानून खत्म करने की मांग तेजस्वी यादव से की थी। उन्होंने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समझाने के लिए कहा था। वहीं मांझी अपनी गरीब संपर्क यात्रा के दौरान नीतीश कुमार की योजनाओं को भी असफल बताकर नई समस्या खड़ी कर रहे हैं।