छपरा में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। जहां एक बुजुर्ग मरीज को नाक और मुंह से खून की उल्टी की शिकायत के साथ इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चौकाने वाली बात यह हुई कि जब अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने मरीज का सीटी स्कैन कराया तो उसके रिपोर्ट में उसके शरीर के तमाम अंगों को सामान्य बताया गया। लेकिन मरीज की रिपोर्ट में महिलाओं के शरीर के यूटरस और ओभरी को दर्शाते हुए इन तमाम अंगों को भी सामान्य अवस्था मे रहने की बात को भी शामिल कर लिया गया।
अब इस रिपोर्ट को देखने के बाद ड्यूटी पर उपस्थित चिकित्सक ने भी हैरानी जाहिर करते हुए पीपी मोड में संचालित हो रहे संस्था का बचाव करते हुए मानवीय भूल बताया लेकिन ऐसी मानवीय भूल किसी की जान आफत में डाल सकती है इसका जवाब किसी के पास नही है। मरीज की पहचान दाउदपुर के बनवार इलाके के निवासी भदई मियाँ के रूप में हुई है।
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मरीज के पुत्र ने कहा कि रिपोर्ट भी हाँथो हाँथ मरीज के परिजनों को नही सौंपा जाता है और लगभग दस घंटे बाद मिलने वाला रिपोर्ट भी जब जैसा कि विद्वान चिकित्सक कहते हैं कि तय फॉरमेट में छाप कर दिया जाता है। इसके पहले कितने मरीजो को ऐसी रिपोर्ट दी गई होगी यह सोच कर ही रूह काँप जाती है।और सीटी स्कैन सेंटर के संचालक किस तरह से मरीजो की जान से खेल रहे हैं यह साफ साफ दृष्टिगोचर हो रहा है।सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की यह स्थिति तब है जब एक युवा उपमुख्यमंत्री बिहार का स्वास्थ्य मंत्री का दायित्व निभा रहा है। अगर सदर अस्पताल में ऐसी स्थिति है तो प्रखंडों में संचालित स्वास्थ्य केंद्रों का तो भगवान ही मालिक है।