बिहार में सरकार का मौजूदा स्वरूप बने आठ महीने का वक्त हो चुका है। बिना चुनाव बनी इस सरकार के साझीदार दल विधानसभा के तीन उपचुनावों में उतरे हैं। तीन में से दो में महागठबंधन की हार हुई है। जबकि भाजपा एक सीट हारी है। विधानसभा के उपचुनाव वाले मुकाबलों में 2-1 से बढ़त बनाने वाली भाजपा की नजरें विधान परिषद चुनाव पर हैं। वोटिंग हो चुकी है। अब बुधवार को इसका नतीजा जारी होना है। इसके लिए सुबह 8 बजे मतगणना का काम शुरू हुआ है। इस चुनाव में मुकाबला 5 सीटों पर हुआ है। वैसे तो 5 सीटों के लिए 48 उम्मीदवार मैदान में थे लेकिन मुख्य दावेदारी भाजपा और महागठबंधन के बीच ही मानी जा रही है।
शिक्षक निर्वाचन में अधिक मतदान
स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों की 5 सीटों पर मतदान की प्रक्रिया 31 मार्च को हुई थी। इस चुनाव के लिए बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया गया है। चुनाव में सबसे अधिक जोश गया शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लिए दिखी। उस सीट पर 84.08 फीसदी मतदान हुआ। वहीं गया स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के लिए 51.04 फीसदी मतदान हुआ। वहीं सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लिए 83.50 प्रतिशत और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के लिए 60.91 प्रतिशत मतदान हुआ। जबकि कोसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लिए 83 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
जदयू ने लड़ा है 3 सीटों पर चुनाव
इस चुनाव में महागठबंधन की ओर से सबसे अधिक 3 सीटों पर जदयू के उम्मीदवार उतरे हैं। राजद और सीपीआई के खाते में एक-एक सीट आई है। जबकि महागठबंधन के विरोध में खड़ी भाजपा ने सभी पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार दिए हैं। इस चुनाव में गया स्नातक निर्वाचन क्षेत्र का नतीजा सुर्खियों में है। क्योंकि इस सीट पर भाजपा ने विधान परिषद के पूर्व सभापति अवधेश नारायण सिंह को उम्मीदवार बनाया है जबकि महागठबंधन की ओर से राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे पुनीत कुमार मैदान में हैं।