चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर अपनी चुनावी रणनीतियों को लिए जाने जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी सहित कई ऐसे नेता रहे हैं जिन्हें प्रशांत किशोर की रणनीति ने सत्ता के आसन्न तक पहुँचाया है। फिलहाल प्रशांत किशोर दूसरों को लिए रणनीति बनाने को छोड़ कर बिहार में अपनी जनसुराज पदयात्रा में लगे हुए हैं। उन्होंने घोषित रूप से तो राजनीति में कदम नहीं रखा है लेकिन बिहार की राजनीति को प्रभावित करने लगे हैं। ताजा उदहारण बिहार विधान परिषद चुनाव में देखने को मिला है। जहां बिना चुनाव में उतरे ही प्रशांत किशोर ने बड़ा दांव चल दिया। जिससे सबसे बड़ा झटका महागठबंधन को लगा है।
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चुनाव में एंट्री से पहले PK का जलाव
प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर 2022 से बिहार की जनसुराज यात्रा में लगे हुए हैं। हालांकि राजनीतिक पार्टी के गठन और चुनाव में उतरने को लेकर उन्होंने अभी भी स्थिति साफ नहीं की है। अपने पदयात्रा के दौरान केन्द्र सरकार और बिहार सरकार पर भी हमलावर रहते हैं। लेकिन अब उन्होंने चुनाव में एंट्री से पहले चुनावी परिणामों में अपना जलवा दिखाना शुरू कर दिया है। बिहार विधान परिषद चुनाव में सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से प्रशांत किशोर के समर्थित उम्मीदवार ने अफाक अहमद ने जीत हासिल की है। जो की काफी चौंकाने वाला है। अफाक अहमद ने महागठबंधन प्रत्याशी आनंद पुष्कर को हराकर ये जीत हासिल की है। इस जीत के पीछे का पूरा श्रेय प्रशांत किशोर की रणनीति को दिया जा रहा है।
महागठबंधन के किले में सेंधमारी
बता दें कि सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से सीपीआई के दिवंगत नेता केदार पांडेय पिछले कई बार से एमएलसी थे। उनकी मृत्यु के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ। जिसमें महागठबंधन की तरफ से सीपीआई नेता और केदार पांडेय के बेटे आनंद पुष्कर को चुनावी मैदान में उतारा गया था। ऐसा माना जा रहा था कि उनकी सीधी टक्कर भाजपा प्रत्याशी डॉ. धर्मेन्द्र सिंह से होगी। लेकिन चुनाव के परिणाम ने सभी को हैरान कर दिया। प्रशांत किशोर के समर्थित उम्मीदवार अफाक अहमद ने जीत हासिल की। अफाक अहमद को कुल 3055 वोट मिले जबकि आनंद पुष्कर 2381 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वहीं भाजपा प्रत्याशी डॉ. धर्मेन्द्र सिंह तीसरे स्थान पर रहे।