आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार में सभी ने चुप्पी साध रखी है। बिहार सरकार नियम में बदलाव कर आनंद मोहन को बाहर निकालने के जुगत में लगी हुई है। बिहार में विपक्ष में बैठी भाजपा भी इसको लेकर कुछ भी कहने से बच रही है। लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती ने नीतीश सरकार पर दलित विरोधी व अपराध समर्थक होने का भी आरोप लगाया है।
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पुनर्विचार करे बिहार सरकार
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि बिहार की नीतीश सरकार द्वारा, आन्ध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है। उन्होंने आगे कहा कि आनन्द मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम कृष्णैया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी व अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है। चाहे कुछ मजबूरी हो किन्तु बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करे।
आनंद मोहन रिहाई के पीछे सियासी समीकरण
बता दें कि आनंद मोहन को डीएम कृष्णैय्या के हत्या मामले में पटना हाईकोर्ट ने 2007 में फंसी की सजा सुनाई थी। बाद में उनकी सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया। आनंद मोहन सजा पूरी कर चुके है। बिहार सरकार उन्हें जेल से बाहर निकालने की कवायद में जुटी हुई है। इसके पीछे एक बड़ा राजनीतिक कारण भी माना जा रहा है। दरअसल आनंद मोहन राजपूत समाज से आते हैं। आनंद मोहन की रिहाई के पीछे नीतीश सरकार भाजपा के राजपूत वोट बैंक सेंधमारी करने की जुगत में भी है।