बिहार में हो रही जातीय जनगणना पर रोक लगा दी गई है। पटना हाई कोर्ट ने इस पूरी प्रक्रिया पर अंतरिम आदेश देते हुए 3 जुलाई तक के लिए रोक दिया है। 3 जुलाई को अगली सुनवाई की तिथि रखी गई है। बिहार में जातीय जनगणना पर राजनीति पर फिलहाल ब्रेक लग गया है। लेकिन जातीय जनगणना के मामले में बिहार न पहला राज्य है और न ही आखिरी। बिहार के बाद ओड़िशा में भी ओबीसी का सर्वे शुरू हो चुका है। तो कर्नाटक में तो पूरी गणना के बाद भी रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब कोर्ट के फैसले के बाद चर्चा यह गरम है कि जातीय जनगणना के मामले में बिहार में कहीं कर्नाटक वाला ही ‘नाटक’ न दुहरा दिया जाए।
जाति आधारित गणना पर रोक, पटना हाईकोर्ट का फैसला
2014-15 में कर्नाटक में हुआ था फैसला
कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 2014-15 में जाति आधारित जनगणना का फैसला किया था। लेकिन इस फैसले के आते ही इसका विरोध शुरू हो गया। इसे असंवैधानिक भी बताया गया। तब कर्नाटक सरकार ने पूरी प्रक्रिया का नया नामकरण किया और नाम रखा ‘सामाजिक एवं आर्थिक’ सर्वे। 2017 के अंत में कंठराज समिति ने रिपोर्ट कर्नाटक सरकार को सौंपी। गणना से पहले संभावना यह जताई जा रही थी कि अल्पसंख्यक, ओबीसी और दलितों की गिनती राज्य का सियासी गणित बदल देगी। लेकिन कर्नाटक में अचानक 192 से अधिक नई जातियां सामने आ गईं। लगभग 80 नई जातियां तो ऐसी थीं, जिनकी जनसंख्या 10 से भी कम थी। एक तरफ ओबीसी की संख्या में भारी वृद्धि हो गई तो दूसरी तरफ लिंगायत और वोक्कालिगा जैसे प्रमुख समुदाय के लोगों की संख्या घट गई। विवाद ने ऐसा तूल पकड़ा कि सिद्धारमैया ने यह रिपोर्ट सार्वजनिक ही नहीं की।
बिहार का फॉर्मेट अलग
वैसे कर्नाटक और बिहार में हुई गणना का फॉर्मेट अलग है। कर्नाटक सरकार ने जनगणना फार्म में ही जाति का कॉलम जोड़ दिया था। तब कर्नाटक सरकार ने इस प्रक्रिया पर 150 करोड़ रुपए खर्च किए। बिहार में इसके लिए अलग से पूरी प्रक्रिया ही अपनाई गई। पहले तो बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से जातीय जनगणना कराने की मांग की लेकिन केंद्र सरकार के मना करने पर अपने संसाधनों से इस गणना पर सहमति बनी। बिहार सरकार का बजट 500 करोड़ रुपए है। वैसे कोर्ट का अंतरिम आदेश सरकार के लिए झटका माना जा रहा है। लेकिन सरकार में शामिल जदयू इसे महज अंतरिम आदेश की तरह देख रही है। जबकि राजद के नेता और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का कहना है कि कोर्ट ने जो कहा है उसका लीगल जवाब तलाशा जाएगा। साथ ही तेजस्वी यादव ने यह भी कहा है कि आज नहीं तो कल, यह तो कराना ही होगा।