यूपी और नेपाल सीमा पर स्थित गंडक दियारा समेत शहर के सैकड़ों लोग हर रोज नाव पर सवार होकर जोखिम भरी यात्रा कर रहे हैं। कभी नदी में नाव डूबने का डर तो कभी फसल व मवेशियों की चिंता दियारावर्ती इलाके के किसानों में आम बात हो गई है। नदी इस पार रोजमर्रा के लिए महिलाओं को हर रोज मवेशियों के चारा व चूल्हा चौकी के लिए जलावन तक दियारा से लाने की मजबूरी व लाचारी है। वहीं इलाके की चीनी मिल और कोल्हू क्रशर तक खेतों से गन्ना ढुलाई बड़ी समस्या है। इस दौरान ओवर लोडिंग के कारण नाव डूबने का खतरा बना रहता है। गंडक नदी में पैंटूल पुल नहीं बनाए जाने से लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है।
पीपा पुल नहीं बनाया जा सका
दरअसल, बगहा शहर के दीनदयाल नगर,रत्नमाला, डुमवलिया, शास्त्रीनगर व नारायणपुर समेत कैलाशनगर मोहल्लों को गंडक नदी तट पर सीमावर्ती यूपी की ओर स्थित मदरहवां रेता, बलुआ ठोरी, वीरता रेता, पिपरासी रेता व धनहा मधुबनी रेता के इलाके जोड़ते हैं। जहां हजारों एकड़ जमीन पर नदी किनारे खेती किसानी व जलावन के साथ साथ मवेशियों के चारा लाने लोग इस पार से नदी उस पार जाते हैं। बावजूद इसके इन घाटों पर पुल निर्माण या पीपा पुल नहीं बनाया जा सका है। जबकि कालीघाट में वर्षों पहले करोडों की लागत से बना पुल नदी के गर्भ में समाहित हो चुका है तो बगहा शहर को दियारावर्ती क्षेत्रों से सीधा जोड़ने के लिए एक अदद पुल की मांग वर्षों से किसानों के द्वारा की जा रही है। लेकिन अभी तक हमलोगों को मांगें पूरी नहीं हो सकी है।