बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर बयानबाजियों का दौर बढ़ता ही जा रहा है। पटना हाईकोर्ट ने जातिगत जनगणना पर फिलहाल रोक लगा दी है। 3 जुलाई को इस मामले में सुनवाई होनी है। पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के बाद भी बिहार सरकार को राहत नहीं मिली। जिसके बाद से बिहार के विपक्षी नेता बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर हैं। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी जातिगत जनगणना को लेकर अड़े हुए हैं। उन्होंने साफ कहा है कि यदि जरुरत पड़ी तो इसके लिए कानून भी बनाएंगे।
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“सभी दलों की सहमति होगी तो कानून बनेगा”
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कोर्ट के फैसले पर मैं कमेंट नहीं कर सकता हूँ। लेकिन यह सबको पता है कि बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर सभी दलों की सहमति बनी थी। उसके बाद से ही काम शुरू हो गया था। जातिगत जनगणना को लेकर क्या राज्य में कानून बनेगा इस सवाल को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी कोई स्पष्ट नहीं है। लेकिन सभी दलों की सहमति होगी तो कानून भी बनेगा। वहीं उन्होंने जातिगत जनगणना के बहाने एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि हम तो चाहते थे कि पूरे देश में जातिगत जनगणना हो इसके लिए हम लोगों ने प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की थी। लेकिन केंद्र सरकार नहीं चाहती कि देश में जातिगत जनगणना हो। केंद्र सरकार के आदेश पर ही हम लोग अपने राज्य में अपने खर्च पर ही जातिगत जनगणना करवाने का फैसला लिया था।
सुशील मोदी को नीतीश कुमार का जवाब
जातिगत जनगणना पर एक बार फिर कानून बनने के लिए सर्वदलीय बैठक हो बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने यह मांग की मोदी के इस मांग को लेकर जब पत्रकारों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि 2019 में हम लोग उन्हीं लोग के साथ बिहार में सरकार चला रहे थे। उस वक्त बीजेपी के नेता क्यों नहीं मांग किए की जातिगत जनगणना को लेकर कानून ही बनना चाहिए। अब वह बोल रहे हैं कि कानून बने, साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि कोर्ट ने क्या कहा है इन सभी बिंदुओं पर विचार विमर्श हो रहा है यदि कानून बनाने की जरूरत पड़ेगी तो कानून भी बनेगा।