नई दिल्ली : भारत ने एक बार फिर वैश्विक शांति स्थापना में अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) की 160 सदस्यीय टुकड़ी को कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन (MONUSCO) के लिए रवाना किया है। इस टुकड़ी में 25 महिला कर्मी भी शामिल हैं, जो भारत की जेंडर-इनक्लूसिव शांति मिशनों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
बीएसएफ के डायरेक्टर जनरल (डीजी) दलजीत सिंह चौधरी ने इस टुकड़ी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह टुकड़ी कमांडेंट कैलाश सिंह मेहता के नेतृत्व में कांगो के बेनी क्षेत्र में तैनात होगी, जो लंबे समय से सशस्त्र संघर्ष, मिलिशिया हिंसा और बड़े पैमाने पर विस्थापन से जूझ रहा है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र में एम23 मिलिशिया और रवांडा-कांगो सैन्य अभियानों के कारण 70 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं।
डीजी चौधरी, जो 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और अगस्त 2024 में बीएसएफ के प्रमुख बने, ने इस अवसर पर कहा, “भारत शांति मिशनों में अपनी भागीदारी को लेकर गर्व करता है। महिला कर्मियों की भागीदारी न केवल यूएन के जेंडर-इनक्लूसिव लक्ष्यों के अनुरूप है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने में भी मदद करती है।” यह टुकड़ी 18वीं बीएसएफ कंटिंजेंट (IFPU-II) है, जो MONUSCO के तहत काम करेगी।
भारत 1950 से यूएन शांति मिशनों में सक्रिय योगदान देता आ रहा है, और 1960 में कांगो में उसका पहला मिशन शुरू हुआ था। अब तक, भारत ने 2,50,000 से अधिक सैनिकों को वैश्विक स्तर पर यूएन मिशनों में भेजा है। भारत ने 2007 में लाइबेरिया में दुनिया की पहली ऑल-विमेन फॉर्म्ड पुलिस यूनिट को तैनात कर एक ऐतिहासिक कदम भी उठाया था।
यह मिशन भारत के उन प्रयासों का हिस्सा है, जो दुनिया के सबसे अस्थिर क्षेत्रों में शांति और स्थिरता लाने के लिए किए जा रहे हैं। बीएसएफ की यह टुकड़ी कांगो में हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों की सुरक्षा और मानवीय सहायता सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगी।