नई दिल्ली: दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा मोड़ लेते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) ने आगामी मेयर चुनाव में हिस्सा न लेने का फैसला किया है। पार्टी ने यह कदम भाजपा को सीधे तौर पर दिल्ली की जिम्मेदारी लेने की चुनौती के रूप में उठाया है।
AAP की रणनीतिक वापसी?
पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष और प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया, इस बार आम आदमी पार्टी मेयर चुनाव में अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी। भाजपा को अब बिना किसी बहाने के दिल्ली पर शासन करना चाहिए। यह बयान ऐसे समय आया है जब 2022 में आप ने नगर निगम चुनावों में 15 साल बाद भाजपा को हराकर एमसीडी में सत्ता हासिल की थी। उस चुनाव के बाद शैली ओबेरॉय दिल्ली की मेयर बनी थीं।
एलजी को मिले अधिकार, बढ़ा टकराव
AAP और भाजपा के बीच दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारों को लेकर तनाव कोई नया नहीं है। 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) को एमसीडी में 10 एल्डरमैन नामित करने का अधिकार दिया, जिससे भाजपा को स्थायी समिति में बहुमत मिलने की संभावना बढ़ गई। AAP ने इसे “लोकतंत्र पर हमला” बताया था।
केंद्र और राज्य सरकार में टकराव जारी
दिल्ली में केंद्र और आप सरकार के बीच लगातार बढ़ते टकराव ने स्थानीय प्रशासन को प्रभावित किया है। सौरभ भारद्वाज ने प्रेस वार्ता में इस बात पर भी ज़ोर दिया कि भाजपा अब अपने वादों और योजनाओं पर काम करके दिखाए।
पुराने तेवर बरकरार
AAP प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज, जो 2013 से पार्टी के अहम चेहरों में गिने जाते हैं, पहले भी भाजपा के खिलाफ मुखर रहे हैं। 2017 में उन्होंने एक ईवीएम जैसी मशीन को हैक करने का डेमो भी पेश किया था। हालांकि चुनाव आयोग ने उस दावे को यह कहकर खारिज कर दिया था कि वह ऐसी किसी मशीन की गारंटी नहीं ले सकता जो उसके आधिकारिक तंत्र का हिस्सा न हो।
विश्लेषण: पीछे हटना या शतरंज की चाल?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो AAP का यह कदम एक “रणनीतिक पीछे हटने” के तौर पर देखा जा सकता है, जिससे वह भाजपा को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराकर दिल्ली में प्रशासनिक असफलताओं का ठीकरा उस पर फोड़ सके।