“देश का निर्माण केवल ईंट और सीमेंट से नहीं होता, बल्कि यह शिक्षकों के विचारों और मूल्यों से होता है।” — यह बात पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. इन्द्रजीत सिंह ने एबीसी कॉलेज ऑफ एजुकेशन, नेउरा में आयोजित बीएड विदाई समारोह ‘परिणीति 2025’ के अवसर पर छात्रों को संबोधित करते हुए कही। कार्यक्रम ने सिर्फ एक शैक्षणिक मोड़ को नहीं दर्शाया, बल्कि इसमें शिक्षक और शिक्षा की गहराई को राष्ट्र निर्माण से जोड़ा गया।
कुलपति का संदेश: शिक्षा से ही बदलता है समाज
डॉ. सिंह ने कहा कि एक शिक्षक सिर्फ ज्ञान का वाहक नहीं होता, बल्कि वह भावी पीढ़ी के संस्कार, सोच और दृष्टिकोण को आकार देता है। उन्होंने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए कहा कि वे स्वयं को जीवनभर एक शिक्षक मानते रहे और बच्चों में मूल्यों का बीजारोपण करते रहे।
IPS विकास वैभव की चिंता: ‘बिहार से युवाओं का पलायन थमे’
आईपीएस अधिकारी विकास वैभव ने मंच से एक अहम सामाजिक मुद्दे को उठाते हुए कहा कि बिहार के प्रतिभाशाली युवा पलायन को मजबूर हैं, जो चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि “हमारी कोशिश होनी चाहिए कि बिहार में ही ऐसे शैक्षणिक और औद्योगिक अवसर बने जिससे पलायन रुके।” उन्होंने राज्यवार प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) के आँकड़े छात्रों से साझा कर जागरूकता भी बढ़ाई।
शिक्षा को प्रासंगिक और समावेशी बनाने की दिशा में कॉलेज का प्रयास
कॉलेज सचिव एवं करियर काउंसलर श्री आशीष आदर्श ने बताया कि कॉलेज ने AICTE से मान्यता प्राप्त कर MCA, MBA, BCA, और BBA जैसे व्यवसायिक पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। यह कदम विशेष रूप से ग्रामीण छात्रों को उच्च शिक्षा में नए अवसर देने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
संस्कृति से जुड़ा अनुभव: सितार और तबला की सुरमयी जुगलबंदी
कार्यक्रम में स्पिक मैके के सौजन्य से आयोजित सांस्कृतिक सत्र में प्रसिद्ध सितारवादक डॉ. श्रावणी बिस्वास और तबलावादक ज्ञान स्वरूप मुखर्जी की जुगलबंदी ने छात्रों और अतिथियों को संगीत की अलौकिक यात्रा कराई।