बिहार की राजनीति में इन दिनों राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के वरिष्ठ नेता और लालू प्रसाद यादव के करीबी अब्दुल बारी सिद्दीकी (Abdul Bari Siddiqui) सुर्खियों में हैं। महागठबंधन की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान दिए गए उनके बयान ने सियासी माहौल को गरमा दिया है। उन्होंने कहा था कि “हिंदू भाइयों को सेक्युलरिज्म, सोशलिज्म और संविधान की ज्यादा समझ देने की जरूरत है।” इस बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ी आपत्ति जताई और सिद्दीकी पर हिंदू समुदाय का अपमान करने का आरोप लगाया।
भाजपा नेता दानिश इकबाल ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हिंदुओं को धर्मनिरपेक्षता सीखने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि भारतीय संस्कृति और सभ्यता ने हमेशा विविधता को आत्मसात किया है। उन्होंने आरजेडी नेता पर भारतीय परंपरा और मूल्यों को न समझने का आरोप लगाया।
विवाद बढ़ने के बाद अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सफाई दी, लेकिन उनकी सफाई ने नया विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय को एक संगठन “उन्मादी” बना रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और उनका इरादा किसी धर्म विशेष को अपमानित करना नहीं था।
सिद्दीकी ने आगे कहा कि समाज को एकजुट रखना हर धर्म और समुदाय की जिम्मेदारी है। बहुसंख्यक समुदाय के पास अधिक ताकत है, इसलिए उनकी भूमिका और बड़ी हो जाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि आज एक विशेष संगठन ‘हिंदू-मुसलमान’ का नारा लगाकर समाज को बांटने की कोशिश कर रहा है और उनका कटाक्ष उसी पर था, न कि किसी धर्म या जाति पर।
हालांकि, उनकी इस सफाई से भाजपा और अधिक आक्रामक हो गई है। बिहार सरकार के मंत्री और भाजपा नेता संजय सरावगी ने कहा कि सिद्दीकी माफी मांगने के बजाय हिंदुओं को उन्मादी बता रहे हैं, जिससे उनकी असली सोच उजागर होती है।