नई दिल्ली : पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर पर गंभीर आरोप लगा है। ईरानी मीडिया के हवाले से खबर है कि मुनीर ने मई 2025 में तेहरान दौरे के दौरान ईरान के आर्मी चीफ मोहम्मद हुसैन बघेरी को एक स्मार्टवॉच गिफ्ट की थी, जिसमें GPS ट्रैकर लगा था। इस घड़ी के जरिए बघेरी की लोकेशन लीक होने का दावा किया जा रहा है, जिसके बाद 13 जून 2025 को इजरायल के हवाई हमले में उनकी मौत हो गई। यह खुलासा ईरान और पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है।
घटनाक्रम की पड़ताल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुनीर ने 31 मई 2025 को तेहरान में जनरल स्टाफ मुख्यालय का दौरा किया था और बघेरी से मुलाकात की थी। आरोप है कि इस मुलाकात में दी गई घड़ी में GPS बीकन डिवाइस था, जो बघेरी की हर गतिविधि और लोकेशन को ट्रैक कर सकता था। घड़ी मिलने के 19 दिन बाद ही इजरायल के ऑपरेशन राइजिंग लायन में बघेरी समेत ईरान के कई टॉप कमांडरों की मौत हो गई।
सवाल उठ रहा है कि आखिर इजरायल को बघेरी की सटीक लोकेशन कैसे मिली?ईरानी मीडिया का दावा है कि मुनीर ने अमेरिका और इजरायल के साथ यह सूचना साझा की, जिसके बाद यह हमला हुआ। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मुनीर का हालिया अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ लंच मीटिंग इस साजिश का हिस्सा हो सकता है, जहां पाकिस्तान ने सैन्य तकनीक और अपने ठिकानों के इस्तेमाल की पेशकश की हो।
पाकिस्तान की चुप्पी और बढ़ता विवाद
पाकिस्तान की ओर से अब तक इस आरोप पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जिससे खबरों को और बल मिल रहा है। ईरान ने इस घटना को अपनी पीठ में छुरा घोंपने जैसा करार दिया है, जबकि पाकिस्तान ने 22 जून 2025 को अमेरिकी हमलों की निंदा की थी, जो इस “डबल गेम” की ओर इशारा करता है। दूसरी ओर, चीन—जो ईरान का समर्थन कर रहा है—भी पाकिस्तान के इस कथित धोखे से नाराज बताया जा रहा है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
पाकिस्तान और ईरान के रिश्ते लंबे समय से जटिल रहे हैं। दोनों देशों ने 1950 में दोस्ती का समझौता किया था, लेकिन 2024 की सीमा झड़पों और अब इस घटना ने रिश्तों को तनावपूर्ण बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान अपनी भौगोलिक स्थिति और सैन्य हितों के चलते अमेरिका और ईरान के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करता रहा है, लेकिन मुनीर का यह कदम उसे भारी पड़ सकता है।
आगे क्या?
ईरान की ओर से प्रतिक्रिया का इंतजार है, जबकि पाकिस्तान के अंदर भी मुनीर के खिलाफ विरोध की आवाजें उठने लगी हैं। क्या यह घटना क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बदल देगी? या मुनीर की “दो नावों की सवारी” पाकिस्तान के लिए आत्मघाती साबित होगी? इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों में साफ हो सकता है।