अहमदाबाद: अहमदाबाद में 12 जून को हुए भीषण विमान हादसे के बाद पीएमओ की एक उच्चस्तरीय टीम आज शहर पहुंची है। इस टीम का नेतृत्व प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा कर रहे हैं, जो राहत, बचाव और जांच प्रयासों की निगरानी के लिए दो दिनों तक गुजरात में रहेंगे। इस हादसे में एअर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान (AI-171) के दुर्घटनाग्रस्त होने से 270 लोगों की मौत हो गई, जबकि एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति, 40 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक, चमत्कारिक रूप से बच निकला।
विमान, जो अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भर रहा था, टेकऑफ के 59 सेकंड के भीतर ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया और बीजे मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के आवास पर जा गिरा। यह अप्रत्याशित स्थान हादसे की गंभीरता को दर्शाता है। दुर्घटना के बाद काले धुएं का गुबार कई किलोमीटर दूर तक दिखाई दिया, जिसके बाद तत्काल आपातकालीन सेवाएं मौके पर पहुंचीं। फ्लाइट रडार24 के प्रारंभिक डेटा के अनुसार, विमान ने पिछले दो वर्षों में लंदन गैटविक के लिए 25 उड़ानें भरी थीं, जिससे यांत्रिक खराबी की प्रारंभिक आशंकाओं पर सवाल उठ रहे हैं।
पीएमओ टीम मुख्यमंत्री, डीजीपी और एसीएस (गृह) के साथ प्रमुख बैठकों में हिस्सा लेगी, जिसमें आपदा के बाद समन्वय और सहायता पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। केंद्र सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया है, जो दुर्घटना स्थल का दौरा करेगी और क्रू मेंबर्स, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर व रेस्क्यू टीम से जानकारी जुटाएगी। ब्लैक बॉक्स की बरामदगी के बाद जांच में तेजी आने की उम्मीद है, जो हादसे के सटीक कारणों का पता लगाने में मददगार साबित होगा।
13 जून को पीएम नरेंद्र मोदी ने हादसे वाली जगह का दौरा किया और स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने घायलों से अस्पताल में मुलाकात भी की। इस दौरान केंद्रीय मंत्री राम मोहन नायडू और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद रहे। पीएम ने इस त्रासदी पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, “अहमदाबाद में हुई यह घटना दिल दहला देने वाली है। मेरी संवेदनाएं प्रभावित परिवारों के साथ हैं।”
हादसे के मद्देनजर डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने एअर इंडिया के पूरे बोइंग-787 बेड़े की सुरक्षा जांच के आदेश दिए हैं। 15 जून से बोइंग 787-7 और 787-9 विमानों के हर टेकऑफ के लिए एक बार की जांच अनिवार्य की गई है, जो विमानन सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है।
एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति की सीट 11A, जो आपातकालीन निकास के पास थी, ने हादसे में जीवित रहने की दुर्लभता को उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्लैक बॉक्स डेटा हादसे के पीछे की साजिश या तकनीकी खराबी जैसे सवालों का जवाब दे सकता है। इस बीच, मृतकों की शव पहचान में देरी से परिजनों में आक्रोश भी देखा जा रहा है।
यह घटना न केवल भारत के विमानन इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज होगी, बल्कि सुरक्षा मानकों को पुनर्जनन की जरूरत को भी रेखांकित करती है। आगे की अपडेट्स के लिए बने रहें।