अहमदाबाद : 12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस भयावह हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। हादसे में कुल 242 यात्रियों और चालक दल के कई सदस्य मारे गए, जिनमें केबिन क्रू की सदस्य माथिली पाटिल भी शामिल थीं। उनकी मौत ने पूरे विमानन क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ा दी है।
माथिली के पिता मोरेस्वर पाटिल ने मीडिया से बातचीत में भावुक होते हुए एयर इंडिया पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि न तो हादसे की जानकारी समय पर दी गई, और न ही कंपनी की ओर से कोई सहायता या संपर्क किया गया। उन्होंने कहा, “मेरी बेटी ने कहा था कि लंदन पहुंचते ही कॉल करेगी, लेकिन वो कॉल कभी नहीं आया।”
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर ने टेकऑफ के बाद सिर्फ 672 फीट की ऊंचाई पाई थी और महज 30 सेकंड में क्रैश हो गया। विमानन विशेषज्ञ कैप्टन सौरभ भटनागर का मानना है कि संभवतः विमान को लिफ्ट या थ्रस्ट की समस्या रही होगी।
सीसीटीवी फुटेज और टेक्निकल रिपोर्ट्स इस ओर इशारा कर रही हैं कि तकनीकी खामी या पायलट की गलती दोनों में से कोई एक वजह हो सकती है। ब्लैक बॉक्स की रिकवरी जारी है, जिसके विश्लेषण से वास्तविक कारण स्पष्ट हो सकेगा।
जहां बोइंग ने एक औपचारिक बयान जारी कर सहायता देने की बात कही है, वहीं एयर इंडिया की ओर से अब तक कोई विस्तृत या संवेदनशील प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। इस चुप्पी से यात्रियों के परिजनों का गुस्सा और दुख और गहरा हो गया है
यह हादसा एयर इंडिया फ्लाइट AI-855 (1978) की भयावह दुर्घटना की याद दिलाता है, जिसमें मुंबई से उड़ान भरते ही एक बोइंग 747 अरब सागर में गिर गया था। दोनों घटनाओं में टेकऑफ के कुछ ही क्षणों में विमान क्रैश हुआ, जिससे DGCA और अन्य विमानन एजेंसियों को बोइंग विमानों की सुरक्षा पर नए सिरे से विचार करना पड़ सकता है।
सरकारी एजेंसियां और विमानन प्राधिकरण अब इस हादसे की गहराई से जांच कर रहे हैं। पीड़ित परिवारों और नागरिकों की निगाहें अब सरकार की ओर हैं—क्या यह हादसा सिर्फ एक ‘तकनीकी भूल’ बनकर रह जाएगा या इससे भारतीय विमानन व्यवस्था में कोई बड़ा सुधार आएगा?