बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज होती जा रही है, और सीमांचल की सियासत में अब एक बार फिर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी मौजूदगी दर्ज करानी शुरू कर दी है। चुनावी दौरे पर निकलने से पहले उन्होंने सीधे तौर पर आरजेडी पर हमला बोलते हुए कहा कि जो विधायक चुराते हैं, उन्हें इस बार जनता सबक सिखाएगी।
ओवैसी ने यह बयान ऐसे वक्त दिया है जब वे 3 और 4 मई को सीमांचल के किशनगंज, अररिया और पूर्णिया जिलों में रैलियां करने वाले हैं। सीमांचल वही इलाका है जहां 2020 में AIMIM ने अप्रत्याशित सफलता पाते हुए 5 सीटें जीती थीं। हालांकि, बाद में पार्टी को बड़ा झटका लगा जब उनमें से 4 विधायक टूटकर RJD में शामिल हो गए।
तेजस्वी पर इशारों में तंज
बिना नाम लिए हुए ओवैसी का इशारा साफ तौर पर तेजस्वी यादव और RJD की तरफ था। उन्होंने दो टूक कहा कि सीमांचल की अवाम इस बार धोखा देने वालों को माफ नहीं करेगी। उनके इस बयान को न सिर्फ AIMIM की चुनावी रणनीति के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है, बल्कि यह सीमांचल की मुस्लिम वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश भी मानी जा रही है।
बाहरी उम्मीदवार पर अंदरूनी नाराजगी
AIMIM ने बहादुरगंज सीट से पूर्व कांग्रेस विधायक तौसीफ आलम को टिकट देकर अपने पुराने कार्यकर्ताओं को नाराज कर दिया है। कई स्थानीय नेता इस फैसले से नाराज होकर पार्टी छोड़ चुके हैं। यह आंतरिक खींचतान AIMIM के लिए चुनौती बन सकती है, खासकर तब जब पार्टी सीमांचल में RJD और JDU जैसी ताकतवर पार्टियों से मुकाबले की तैयारी में है।
सीमांचल की सियासत में त्रिकोणीय संघर्ष
सीमांचल के चार जिले—किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार—अब बिहार की चुनावी राजनीति में ‘हॉटस्पॉट’ बनते जा रहे हैं। एक तरफ ओवैसी मुस्लिम वोटों को AIMIM की तरफ खींचना चाहते हैं, दूसरी तरफ तेजस्वी यादव अपनी खोई हुई पकड़ वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, भाजपा-जदयू गठबंधन इस क्षेत्र में अपनी साख बनाने की फिराक में है।
क्या 2025 में सीमांचल का ‘किंगमेकर‘ बनेगा AIMIM?
ओवैसी की रणनीति स्पष्ट है – अल्पसंख्यक बहुल सीटों पर फिर से पकड़ बनाकर अपने विधायकों की संख्या बढ़ाना और बिहार विधानसभा में निर्णायक भूमिका निभाना। 2020 में मिली सफलता और फिर हुए नुकसान ने उन्हें सियासी तौर पर सतर्क कर दिया है। इस बार वे ज्यादा आक्रामक मुद्रा में दिख रहे हैं।