बिहार की राजनीति में एक बार फिर गठबंधन की चर्चाओं ने रफ्तार पकड़ ली है। सूत्रों के मुताबिक असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM महागठबंधन में शामिल होने की संभावनाएं तलाश रही है, और इसके लिए विपक्षी खेमे से बातचीत भी जारी है। AIMIM की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि यदि पार्टी गठबंधन में शामिल होती है, तो वह सीमांचल की सभी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है — यह वही क्षेत्र है जहां AIMIM का 2020 में प्रदर्शन चौंकाने वाला रहा था।
सीमांचल: AIMIM की राजनीतिक प्रयोगशाला
AIMIM ने 2020 विधानसभा चुनावों में सीमांचल की 14 में से 5 सीटें जीतकर यह साबित किया था कि उसका असर अब सिर्फ हैदराबाद तक सीमित नहीं है। कोचाधामन, अमौर, जोकीहाट जैसी सीटों पर AIMIM की जीत ने महागठबंधन को झटका दिया था। इसलिए इस बार AIMIM सीमांचल को अपनी मजबूत जमीन मानते हुए पूरी 24 सीटों पर दावेदारी की तैयारी में है।
गठबंधन में बातचीत जारी, शर्तें भी स्पष्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, AIMIM विपक्षी दलों से ‘सम्मानजनक सीट बंटवारे’ की मांग कर रही है। पार्टी का मानना है कि अगर सीमांचल में उसे खुला मैदान मिलता है, तो वह भाजपा को सीधे टक्कर दे सकती है और मुस्लिम वोटों का बिखराव भी रोका जा सकता है। हालांकि कांग्रेस और राजद के कुछ नेताओं को AIMIM की एंट्री से असहजता है, जो इसे मुस्लिम वोट बैंक में सेंध मानते हैं।
AIMIM की सीमांचल रणनीति: सिर्फ मुस्लिम नहीं, बहुजन समीकरण भी
AIMIM सीमांचल में केवल मुस्लिम नहीं, बल्कि यादव, पासवान और अति पिछड़ा वर्ग को भी जोड़ने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने संकेत दिए हैं कि आगामी चुनाव में वह सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि वर्गीय और सामाजिक समीकरणों पर भी फोकस करेगी।