नई दिल्ली : भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल अगले हफ्ते रूस की यात्रा पर जाएंगे। सूत्रों के अनुसार, यह दौरा भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा, खुफिया जानकारी और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है।
डोभाल की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब भारत और रूस के बीच 2018 में हुए 5.43 अरब डॉलर के S-400 मिसाइल सिस्टम सौदे की बाकी दो इकाइयों की डिलीवरी में देरी हो रही है। रूस पर लगे प्रतिबंधों और यूक्रेन संकट के चलते यह डिलीवरी प्रभावित हुई है। सूत्रों का कहना है कि चौथी स्क्वाड्रन 2025 के अंत तक और आखिरी यूनिट 2026 तक भारत पहुंच सकती है।
यह दौरा भारत-रूस संबंधों के लिए भी अहम है, जो 1991 में शुरू हुए विशेष रणनीतिक साझेदारी पर आधारित हैं। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (2025) के बाद डोभाल की भूमिका और उनकी रणनीतिक विशेषज्ञता एक बार फिर चर्चा में है। डोभाल को 1988 में ऑपरेशन ब्लैक थंडर के दौरान स्वर्ण मंदिर में घुसपैठ करने जैसे खुफिया ऑपरेशनों के लिए भी जाना जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की रूस और यूक्रेन यात्राओं के बाद डोभाल का यह दौरा वैश्विक कूटनीति और क्षेत्रीय स्थिरता के लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच सैन्य तकनीकी सहयोग को और गहरा करेगी।