बिहार की राजनीति में जहां एक ओर एनडीए ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर एकजुटता का संदेश दिया है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन में अंदरूनी खींचतान और टकराव खुलकर सामने आ गया है। एक तरफ़ महागठबंधन के सबसे बड़े घटक राजद ने तेजस्वी यादव के नाम पर अपनी मुहर पहले ही लगा दी है, वहीं कांग्रेस में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर खुला मतभेद अब सड़कों पर दिखाई देने लगा है।
शुक्रवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट पटना में कन्हैया कुमार की पदयात्रा के समापन कार्यक्रम में पहुंचे और उन्होंने मंच से ऐलान किया कि मुख्यमंत्री का चेहरा चुनाव के बाद तय किया जाएगा। इस बयान ने महागठबंधन के भीतर चल रही किचकिच को और उभार दिया।
अखिलेश सिंह ने खोली कांग्रेस की कलह की परतें
हालात तब और नाटकीय हो गए जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह ने अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने खुलकर कहा कि महागठबंधन का चेहरा तेजस्वी यादव ही होंगे, इसमें किसी को भ्रम नहीं होना चाहिए। जो लोग राजनीति नहीं समझते, वही ऐसे बयान देते हैं। उन्होंने पार्टी प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और सचिन पायलट के बयान को सीधे-सीधे नासमझी करार दिया।
अखिलेश सिंह यहीं नहीं रुके, उन्होंने बिहार कांग्रेस की जमीन हकीकत को भी उजागर कर डाला। उनका तीखा बयान था – “बिहार में कांग्रेस की इतनी हैसियत नहीं कि वह अकेले चुनाव लड़ सके। अगर ऐसा हुआ तो यह आत्मघाती कदम होगा।”
राजद का रुख अडिग, कांग्रेस में पसरा असमंजस
राजद पहले से ही तेजस्वी यादव को अपना सीएम चेहरा घोषित कर चुका है। तेजस्वी खुद नेता प्रतिपक्ष हैं और उनके चारों ओर पार्टी लामबंद दिख रही है। लेकिन कांग्रेस के भीतर चल रही खींचतान ने महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बिहार कांग्रेस प्रभारी से लेकर राष्ट्रीय स्तर के नेता तक एक स्वर में नहीं बोल पा रहे हैं। ऐसे में जब एनडीए पूरी ताकत से नीतीश कुमार को सामने लाकर संगठित रणनीति के साथ मैदान में उतर चुका है, महागठबंधन अभी अपने ही पाले में जूझ रहा है।