आजमगढ़: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को आजमगढ़ में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने इतिहास से जुड़े विवादों पर चर्चा से बचने की सलाह दी। यह बयान हाल ही में पार्टी सांसद रामजी लाल सुमन के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने 16वीं सदी के राजपूत राजा राणा सांगा को “देशद्रोही” करार दिया था। सुमन ने दावा किया था कि राणा सांगा ने मुगल संस्थापक बाबर को इब्राहिम लोदी को हराने के लिए आमंत्रित किया था, जिसके बाद उनके आवास पर करणी सेना द्वारा हमला किया गया था।
अखिलेश यादव ने कहा, “मैं पार्टी में यही कहूंगा कि इतिहास से जुड़ा कोई सवाल नहीं करें, क्योंकि इतिहास में हर तरह की बातें होती हैं। सुनने में आ रहा है कि जब से रामजी लाल सुमन का बयान आया है, लोग इतिहास के पन्ने पलट रहे हैं, लोग इतिहास जानना चाहते हैं। मेरा कहना है कि अगर इतिहास की बातें हमें सकारात्मक दिशा न दे सकें, तो हमें इतिहास को इतिहास ही रहने देना चाहिए और उस पर चर्चा नहीं करनी चाहिए।”
यह विवाद मार्च 2025 में शुरू हुआ, जब सुमन ने राणा सांगा पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद उनके आवास पर हमला हुआ और आगरा पुलिस ने अज्ञात भीड़ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। अखिलेश यादव का यह बयान पार्टी के भीतर और जनता के बीच तनाव को कम करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है। समाजवादी पार्टी, जो अपनी समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के लिए जानी जाती है, अक्सर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर जटिल रुख अपनाती रही है।
हाल ही में, अखिलेश यादव ने 2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में बीजेपी पर निशाना साधते हुए उनकी नेतृत्व में देरी और शासन में ध्यान भटकाने का आरोप लगाया था। आजमगढ़ में उनके इस बयान को पार्टी की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है, ताकि विवादों से बचते हुए सकारात्मक राजनीति पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।