वॉशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नेपाल के लिए अस्थायी संरक्षित स्थिति (TPS) को रद्द करने का बड़ा फैसला लिया है, जिसके चलते करीब 7,500 नेपाली नागरिकों को अमेरिका छोड़कर अपने देश लौटना होगा। यह निर्णय ईरान, सीरिया और अन्य 12 देशों के नागरिकों पर प्रतिबंध लगाने के ठीक एक दिन बाद आया है, जिससे ट्रंप प्रशासन की सख्त आव्रजन नीतियों की एक और मिसाल सामने आई है।
अस्थायी संरक्षित स्थिति (TPS) एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत अमेरिका उन देशों के नागरिकों को अस्थायी सुरक्षा प्रदान करता है, जहां गंभीर संकट जैसे युद्ध, प्राकृतिक आपदा या अन्य आपातकालीन स्थिति हो। नेपाल को यह दर्जा 2015 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद दिया गया था, जिसने देश में भारी तबाही मचाई थी। लेकिन ट्रंप प्रशासन का कहना है कि अब नेपाल में हालात सामान्य हो चुके हैं, इसलिए TPS की जरूरत नहीं है। न्यूजवीक की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सरकार ने इसी आधार पर यह कदम उठाया है।
नेपाल, जहां 82 प्रतिशत आबादी हिंदू है, अब इस फैसले से प्रभावित होने वाला नया देश बन गया है। टीपीएस के तहत अमेरिका में रह रहे 7,500 नेपाली नागरिकों को अब तुरंत देश छोड़ना होगा, अन्यथा उन्हें जबरन निर्वासित किया जा सकता है। ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में भी 2017 में टीपीएस खत्म करने की कोशिश की थी, लेकिन आव्रजन विभाग और कानूनी चुनौतियों के कारण वह सफल नहीं हो पाए थे। इस बार, सत्ता में वापसी के बाद ट्रंप ने इस नीति को सख्ती से लागू करने का संकेत दिया है।
इससे पहले, ट्रंप प्रशासन ने अफगानिस्तान, ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन जैसे 12 देशों के नागरिकों पर अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। ट्रंप का तर्क है कि इन देशों में आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है। हालांकि, इस फैसले का कई देशों ने विरोध किया है। चाड ने तो जवाबी कार्रवाई करते हुए अपने देश में अमेरिकी नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। चाड के राष्ट्रपति ने कहा, “हम आत्मसम्मान बेचकर अमेरिका से बात नहीं कर सकते।”
ट्रंप की सख्त आव्रजन नीतियां पहले भी विवादों में रही हैं। हाल ही में, न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मई 2025 में अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) ने 190 निर्वासन उड़ानें संचालित कीं, जो सितंबर 2021 के बाद सबसे ज्यादा हैं। इसमें नई रणनीतियां जैसे रूटीन चेक-इन और आव्रजन अदालतों में गिरफ्तारियां शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की नीतियां न केवल नेपाली नागरिकों, बल्कि वेनेजुएला, हैती और अन्य देशों के लाखों लोगों को प्रभावित कर सकती हैं, जिन्हें पहले टीपीएस का लाभ मिल रहा था।
अमेरिका में रह रहे नेपाली समुदाय में इस फैसले को लेकर चिंता का माहौल है। कई लोगों का कहना है कि नेपाल में अभी भी आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां बरकरार हैं, और अचानक वापसी उनके लिए मुश्किल होगी। इस बीच, ट्रंप प्रशासन ने साफ कर दिया है कि वह टीपीएस को पूरी तरह “अस्थायी” बनाए रखने के अपने मूल मकसद पर अडिग है, और अब किसी भी देश को इस तरह की राहत देने के पक्ष में नहीं है।