नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी दूसरी पारी में एक बार फिर टैरिफ और टैक्स नीतियों के जरिए वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है। ट्रंप प्रशासन ने अब अमेरिका में काम कर रहे विदेशियों द्वारा अपने देश भेजे जाने वाले धन (रेमिटेंस) पर 5 फीसदी टैक्स लगाने का प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव से भारत को सालाना अरबों रुपये का नुकसान होने की आशंका है, क्योंकि अमेरिका भारत के लिए रेमिटेंस का सबसे बड़ा स्रोत देश है।
‘द वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ में रेमिटेंस टैक्स का प्रस्ताव
अमेरिकी संसद में पेश किए गए 389 पन्नों के एक बिल, जिसका नाम ‘द वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ है, में इस नए टैक्स का उल्लेख किया गया है। यह बिल मुख्य रूप से ट्रंप प्रशासन की राजकोषीय नीतियों का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य टैक्स कटौती को जारी रखना और संघीय खर्च में कमी करना है। हालांकि, बिल के पेज नंबर 327 पर स्पष्ट रूप से गैर-अमेरिकी नागरिकों द्वारा विदेश भेजे जाने वाले धन पर 5 फीसदी टैक्स की बात कही गई है। इसका सीधा असर उन प्रवासी भारतीयों (NRIs) पर पड़ेगा, जो नियमित रूप से अपने परिवारों को पैसे भेजते हैं या भारत में निवेश करते हैं।
भारत को 1.6 अरब डॉलर का सालाना नुकसान संभव
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में भारत को वैश्विक स्तर पर 118.7 अरब डॉलर का रेमिटेंस प्राप्त हुआ था, जिसमें से 28 फीसदी यानी 32 अरब डॉलर अकेले अमेरिका से आया था। अगर यह प्रस्तावित 5 फीसदी रेमिटेंस टैक्स लागू हो जाता है, तो भारतीय प्रवासियों को सालाना 1.6 अरब डॉलर का अतिरिक्त कर देना होगा। यह राशि उन परिवारों के लिए अहम है, जो अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल, स्वास्थ्य खर्च, या छोटे-मोटे निवेश जैसे रियल एस्टेट और म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं।
अमेरिका में 45 लाख भारतीय प्रभावित होंगे
भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक, अमेरिका में करीब 45 लाख प्रवासी भारतीय रहते हैं, जिनमें से 32 लाख भारतीय मूल के हैं। इनमें से ज्यादातर लोग H-1B, L-1 जैसे अस्थायी कार्य वीजा या ग्रीन कार्ड धारक हैं, जिन्होंने अभी तक अमेरिकी नागरिकता नहीं ली है। यह टैक्स इन सभी लोगों को प्रभावित करेगा। बिल के अनुसार, यह टैक्स रेमिटेंस सर्विस प्रोवाइडर द्वारा पैसे भेजते समय ही काट लिया जाएगा, जिससे पारंपरिक बैंक ट्रांसफर और NRE/NRO खातों के लेनदेन पर भी असर पड़ेगा।
ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का हिस्सा
यह प्रस्ताव ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का हिस्सा माना जा रहा है। ट्रंप ने हाल ही में कनाडा और मैक्सिको से आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसे वैश्विक व्यापार में व्यवधान और अमेरिका में मंदी की आशंका के चलते अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने आलोचना की थी। इसके अलावा, ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ भी लागू किया था, जिसे विरोध के बाद 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया। रेमिटेंस टैक्स को ट्रंप ने “ग्रेट” करार देते हुए रिपब्लिकन सांसदों से इसे पारित करने की अपील की है।
प्रवासियों में बढ़ी चिंता
इस प्रस्ताव ने अमेरिका में रह रहे लाखों विदेशी कामगारों की चिंता बढ़ा दी है। खासकर भारतीय प्रवासियों के लिए यह एक बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि रेमिटेंस उनके परिवारों की आर्थिक मदद का मुख्य जरिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह टैक्स लागू होता है, तो प्रवासियों को अपनी रेमिटेंस की आदतों में बदलाव करना पड़ सकता है, जैसे कम लेकिन बड़े ट्रांसफर करना, ताकि टैक्स का बोझ कम हो।
रेमिटेंस टैक्स से बचने के लिए कुछ विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि बड़े या नियोजित रेमिटेंस को जुलाई 2025 से पहले कर लिया जाए, क्योंकि संभावना है कि यह टैक्स उस समय तक लागू हो सकता है। हालांकि, इस बिल को अभी अमेरिकी संसद में पारित होना बाकी है, और इसके खिलाफ विरोध की आवाजें भी उठ सकती हैँ।