नई दिल्ली : ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने अमेरिका और उसके सहयोगी देश इजरायल के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की है, जिसके बाद दोनों देशों में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। यह तनाव उस समय बढ़ा है जब हाल ही में अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु साइट्स – फोर्डो, नतांज और इस्फहान – पर “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” के तहत हवाई हमले किए, जिसका उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर रूप से प्रभावित करना था।
मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार खामेनेई ने कहा, “अमेरिका ने जो जंग शुरू की है, उसे अब हम खत्म करेंगे। इसकी कीमत उन्हें बहुत भारी चुकानी पड़ेगी।” उन्होंने इजरायल पर भी निशाना साधते हुए कहा कि यहूदी राज्य ने “भयानक गलती” की है और उसे सजा मिलेगी। खामेनेई के प्रमुख सलाहकार ने तो अमेरिकी नौसेना के जहाजों पर मिसाइल हमलों की वकालत की है, जबकि ईरान के राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र में दावा किया कि बदले की कार्रवाई का समय और तरीका ईरानी सेना तय करेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने 125 सैन्य विमानों के साथ ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, जिसमें 14 जीबीयू-57 बंकर बुस्टर बमों का इस्तेमाल हुआ। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि इन साइट्स को “पूरी तरह नष्ट” कर दिया गया है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में रेडियोधर्मी स्तर में कोई वृद्धि नहीं देखी गई, जिससे ईरान के परमाणु क्षमता पर गहरा असर होने के दावों पर सवाल उठ रहे हैं। इस हमले की निंदा रूस, चीन और पाकिस्तान ने की है, और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई गई है।
जून 2025 में शुरू हुआ ईरान-इजरायल युद्ध, जो 2024 में प्रॉक्सी संघर्ष से बढ़ा, अब अमेरिका के हस्तक्षेप के साथ और गहरा गया है। ईरान ने इजरायल पर मिसाइलों और ड्रोन हमले किए, जिससे वहां के कई शहरों में तबाही मची है, जबकि इजरायल का वायु रक्षा तंत्र प्रभावी नहीं रहा। ईरानी सेना ने विशेष रणनीति के तहत इजरायल की हवाई रक्षा को भेदने का दावा किया है।
खामेनेई, जो 1989 से ईरान के सर्वोच्च नेता हैं, लंबे समय से अमेरिका और इजरायल के खिलाफ “एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस” का समर्थन करते आए हैं, जिसमें हिजबुल्लाह, हमास और हूती जैसे समूह शामिल हैं। दूसरी ओर, ट्रंप की पॉपुलिस्ट और हस्तक्षेप-विरोधी नीति ने इस संकट को जटिल बना दिया है, खासकर जब उन्होंने कथित तौर पर इजरायल के खामेनेई की हत्या की योजना को वीटो किया था।
ईरान ने बदले की रूपरेखा पर रहस्य बरकरार रखा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि वह अमेरिकी सैन्य ठिकानों या सीधे अमेरिकी मुख्य भूमि को निशाना बना सकता है। इस बीच, चीन और रूस के ईरान के समर्थन में खुलकर सामने आने की संभावना ने वैश्विक तनाव को और बढ़ा दिया है। गल्फ क्षेत्र में स्थिति अस्थिर बनी हुई है, और आने वाले दिनों में बड़े घटनाक्रम की आशंका है।