नई दिल्ली – एक सनसनीखेज दावा सामने आया है कि अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किया है। खोरसान न्यूज के हवाले से, यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर के बीच हाल ही में हुई व्हाइट हाउस बैठक के बाद उठाया गया है। हालांकि, अभी तक न तो पाकिस्तान और न ही अमेरिका की ओर से इस दावे पर कोई आधिकारिक पुष्टि हुई है, जिससे इस खबर की सत्यता पर सवाल उठ रहे हैं।
ट्रंप-मुनीर बैठक का रहस्य
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले हफ्ते व्हाइट हाउस में ट्रंप ने मुनीर को लंच पर बुलाया था, जहां दोनों के बीच रणनीतिक सहयोग पर चर्चा हुई। सूत्रों का दावा है कि ट्रंप ने मुनीर से पाकिस्तान के एयरबेस और पोर्ट का इस्तेमाल करने की सहमति ली थी, जो अब ईरान पर हमले में उपयोग में लाया गया है। भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने इस बैठक को इस्लामाबाद के लिए शर्मिंदगी बताया, क्योंकि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को इसमें शामिल नहीं किया गया था।
ईरान पर हमले की पुष्टि
अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों—जिनमें फोर्डो यूरेनियम संवर्धन संयंत्र शामिल है—पर बमबारी की, जिसे ट्रंप ने “सफल” बताया। हालांकि, ईरानी अधिकारियों ने दावा किया कि नुकसान सीमित है, क्योंकि संवेदनशील सामग्री को पहले ही हटा लिया गया था। इजरायल ने भी इन हमलों में अमेरिका के साथ पूर्ण समन्वय की बात स्वीकार की है, जबकि ईरान ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार दिया है।
विवाद और सवाल
खोरसान न्यूज के दावे के आधार पर, मुनीर को ट्रंप का “मोहरा” बताया जा रहा है, लेकिन बिना आधिकारिक पुष्टि के यह खबर अटकलों का बाजार गर्म कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह सच है, तो यह पाकिस्तान की सैन्य और आर्थिक नीतियों में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है, जो भारत और क्षेत्रीय शक्तियों के लिए चिंता का विषय हो सकता है। दूसरी ओर, ईरान की जवाबी कार्रवाई और बढ़ते तनाव ने मध्य पूर्व में अस्थिरता को और बढ़ा दिया है।
आगे की अपेक्षा
अभी इस घटनाक्रम पर नजर रखना जरूरी है, क्योंकि आधिकारिक बयान और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं इस कहानी को और स्पष्ट कर सकती हैं। क्या पाकिस्तान सचमुच अमेरिका के साथ इस हद तक शामिल हो गया है, या यह एक गलतफहमी है? इसका जवाब आने वाले घंटों में सामने आ सकता है।