Amit Shah Bill 2025: लोकसभा का बुधवार का सत्र भारतीय राजनीति के इतिहास में अहम माना जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में तीन बड़े विधेयक पेश किए, जिनमें सबसे चर्चित रहा संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025। इस प्रस्तावित कानून के तहत यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री गंभीर अपराध के आरोप में लगातार 30 दिनों तक जेल में रहता है, तो उसे पद से हटना होगा। यह प्रावधान राजनीति और लोकतंत्र की पारदर्शिता सुनिश्चित करने वाला ऐतिहासिक कदम बताया जा रहा है, लेकिन इसके विरोध में विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया।
लोकसभा में अमित शाह द्वारा पेश किए गए तीन विधेयकों में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक भी शामिल हैं। हंगामे के बाद सदन ने इन्हें संसद की संयुक्त समिति (JPC) को भेजने का फैसला लिया है, जिसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे। समिति अगले सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन तक अपनी रिपोर्ट देगी।
इस विधेयक का विपक्षी दलों ने जमकर विरोध किया। उनका आरोप है कि यह कानून सत्ताधारी दल के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने का हथियार बन सकता है। कांग्रेस और अन्य दलों ने इसे असंवैधानिक बताते हुए संसद के अंदर बिल की प्रतियां फाड़ दीं और गृह मंत्री की ओर कागज फेंके।
वहीं दूसरी ओर कई नेताओं और विश्लेषकों ने इस विधेयक का स्वागत किया है। जनसुराज आंदोलन के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा कि यह लोकतंत्र को मजबूत करने वाला कदम है क्योंकि सत्ता में बैठे लोग जेल से शासन नहीं चला सकते। उन्होंने तर्क दिया कि जब संविधान बनाया गया था, तब शायद किसी ने यह नहीं सोचा होगा कि सत्ता में बैठे नेता इतने भ्रष्ट हो जाएंगे कि उन्हें जेल जाना पड़ेगा।

जेडीयू सांसद संजय कुमार झा ने भी इसे ऐतिहासिक और स्वागत योग्य कदम बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री खुद को इस प्रावधान में शामिल कर रहे हैं, यह अपने आप में मिसाल है। उनका निशाना INDIA गठबंधन के नेताओं पर था, जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते रहे हैं और जिन्होंने जेल में रहते हुए भी सत्ता चलाई।
लोकसभा में हंगामे के दौरान लोजपा (रामविलास) सांसद शांभवी चौधरी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वे कभी चर्चा करना नहीं चाहते और जब मौका मिलता है तो गृह मंत्री पर कागज फेंकते हैं। भाजपा सांसद रवि किशन ने इसे “गुंडागर्दी की हद” बताया और कहा कि संसद का ऐसा दृश्य उन्होंने पहले कभी नहीं देखा। वहीं, वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि यह बिल उन नेताओं के लिए है जो जेल में रहते हुए भी सत्ता नहीं छोड़ते। उनका सीधा इशारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर था।




















