बिहार विधानसभा चुनाव (Amit Shah Bihar Rally) जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी गर्मी तेज होती जा रही है। बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बिहार के विभिन्न जिलों में जनसभाओं को संबोधित करते हुए महागठबंधन पर तीखे प्रहार किए और एनडीए के नेतृत्व में नए बिहार की तस्वीर पेश की।
समस्तीपुर में आयोजित एक विशाल रैली में अमित शाह ने कहा कि आने वाला चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का नहीं बल्कि “बिहार को जंगलराज से मुक्ति दिलाने का चुनाव” है। उन्होंने कहा कि एनडीए आज ‘पांच पांडवों’ की एकजुट टीम के रूप में मैदान में है — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मार्गदर्शन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अनुभव, चिराग पासवान का युवा जोश, जीतन राम मांझी की तपस्या और उपेंद्र कुशवाहा का शैक्षणिक दृष्टिकोण — ये सभी मिलकर बिहार को नए युग की ओर ले जा रहे हैं।
राजगीर की सभा में नीतीश कुमार का प्रहार.. 2005 से पहले बिहार में था अंधेरा, अब ‘सुशासन का मॉडल’
अमित शाह ने अपने भाषण में लालू यादव और कांग्रेस पर भी करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और आरजेडी की जोड़ी ने बिहार को अपराध और भ्रष्टाचार की आग में झोंक दिया था। “लालू एंड कंपनी” वर्षों तक सत्ता में रही, लेकिन जनता को न तो रोजगार मिला और न ही सुरक्षा। शाह ने कहा कि जब केंद्र में मोदी सरकार आई, तब देश में निर्णायक फैसले हुए — धारा 370 की समाप्ति, सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की ताकत पूरी दुनिया को दिखाई।
वहीं, दरभंगा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी महागठबंधन पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों को यह याद रखना चाहिए कि जिन लोगों ने कभी राज्य को बदनाम किया, वे आज फिर सत्ता में आने का सपना देख रहे हैं। राजनाथ सिंह ने कहा, “राजद शासन के दौरान अपराध, अपहरण और भ्रष्टाचार अपने चरम पर था। जिस पार्टी के नेता जेल की हवा खा चुके हों, वह जनता को ईमानदारी का सबक नहीं सिखा सकते।”

रक्षा मंत्री ने कहा कि मान-सम्मान से समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने बिहार के लोगों से अपील करते हुए कहा कि “वोट ऐसे लोगों को दें जो स्वाभिमान की राजनीति करते हैं, न कि परिवारवाद की।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बिहार को केंद्र से जो समर्थन मिल रहा है, उससे विकास की गति पहले से कहीं अधिक बढ़ी है — सड़कों, पुलों, रेल परियोजनाओं और उद्योगों में नई ऊर्जा आई है।
दोनों नेताओं के भाषणों का फोकस साफ था — बिहार को फिर से जंगलराज में नहीं लौटने देना और एनडीए के सुशासन मॉडल को आगे बढ़ाना। जनता की भीड़ और जयघोष ने यह संकेत दिया कि एनडीए की चुनावी रणनीति अब सीधा महागठबंधन के ‘भ्रष्टाचार और परिवारवाद’ नैरेटिव को चुनौती देने पर केंद्रित है।






















