चेन्नई : केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने आज तमिलनाडु में एक अहम कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजनीतिक हलचल मचा देने वाला बयान दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह सम्मेलन डीएमके सरकार के पतन की शुरुआत साबित होगा। शाह ने विश्वास जताया कि 2026 में राज्य में एनडीए सत्ता में लौटेगा।
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब बीजेपी और एआईएडीएमके ने अपने पुराने मतभेदों को भुलाकर अप्रैल 2025 में एक बार फिर गठबंधन को औपचारिक रूप दिया। 11 अप्रैल को चेन्नई में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा हुई थी। शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि इस गठबंधन की कमान एआईएडीएमके के महासचिव ई. पलानीस्वामी (ईपीएस) संभालेंगे।
शाह ने अपने संबोधन में मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन पर निशाना साधते हुए कहा,
“मैं दिल्ली में रहता हूं, लेकिन मेरे कान तमिलनाडु की जनता की आवाज़ सुनते रहते हैं। स्टालिन कहते हैं कि मैं डीएमके को नहीं हरा सकता – और वे सही हैं। मैं नहीं, बल्कि तमिलनाडु की जनता डीएमके को हराएगी।”
यह बयान बीजेपी की उस रणनीति को उजागर करता है जिसके तहत वह डीएमके सरकार के खिलाफ जन असंतोष को चुनावी मुद्दा बनाना चाहती है। डीएमके पर बढ़ती अपराध दर, कानून-व्यवस्था में गिरावट और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगते रहे हैं, जो हाल ही में और अधिक उजागर हुए हैं।
बीजेपी और एआईएडीएमके का यह नवीनीकृत गठबंधन 2023 में टूट गया था, जब दोनों दलों के बीच विचारधारात्मक मतभेद और नेतृत्व को लेकर अंदरूनी खींचतान सामने आई थी। अब दो साल बाद, दोनों दल फिर एकजुट होकर तमिलनाडु की सियासत में बड़ा उलटफेर करने की तैयारी में हैं।
2026 के विधानसभा चुनावों की ओर बढ़ते हुए, अमित शाह के इस बयान ने राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है और आने वाले महीनों में तमिलनाडु की राजनीति और अधिक गर्म होने की संभावना है।