पचमढ़ी (मध्य प्रदेश): केंद्रीय गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने पार्टी नेताओं को संवेदनशील मुद्दों पर बयानबाजी से बचने की सख्त हिदायत दी है। यह निर्देश मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर (14-16 जून 2025) के उद्घाटन के दौरान दिया गया, जहां 165 विधायक और 36 सांसद (29 लोकसभा और 7 राज्यसभा) भाग ले रहे हैं।
यह कदम हाल के विवादों के मद्देनजर उठाया गया है, जिसमें मध्य प्रदेश के जनजातीय मामलों के मंत्री विजय शाह द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मीडिया ब्रीफिंग करने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी शामिल है। विजय शाह ने कर्नल सोफिया को “आतंकवादियों की कम्युनिटी” से जोड़कर विवाद खड़ा कर दिया था, जिसकी देशव्यापी आलोचना हुई और सुप्रीम कोर्ट ने मामले में विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का आदेश दिया। इसके अलावा, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और नवनिर्वाचित विधायक नरेंद्र प्रजापति के भी विवादास्पद बयानों ने पार्टी की किरकिरी कराई।
शाह ने शिविर में सांसदों और विधायकों को संबोधित करते हुए जोर देकर कहा कि भाषणों में संयम बरतना बेहद जरूरी है और ऐसी गलतियों को दोहराने की कोई गुंजाइश नहीं है। एक विधायक ने बताया कि शाह ने हालांकि किसी खास नेता का नाम नहीं लिया, लेकिन स्पष्ट संदेश दिया कि गलतियां स्वीकार्य हैं, पर उनकी पुनरावृत्ति नहीं।
14 जून से शुरू हुए इस शिविर का मकसद पार्टी की विचारधारा और अनुशासन को मजबूत करना है। शिविर में राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष, संयुक्त महासचिव शिव प्रकाश और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसे दिग्गज भी सत्रों को संबोधित करेंगे। शिविर के दौरान नेताओं को मोबाइल फोन इस्तेमाल पर सख्ती से पाबंदी रहेगी, और केवल ब्रेक के दौरान ही इसकी अनुमति होगी।
अमित शाह का राजनीतिक प्रभाव नरेंद्र मोदी के साथ उनके लंबे जुड़ाव से बढ़ा है। दोनों को पार्टी में वरिष्ठ नेताओं जैसे लालकृष्ण आडवानी और सुषमा स्वराज को किनारे करने का आरोप लगा है। शाह को चुनावी रणनीति का मास्टरमाइंड माना जाता है, लेकिन इस तरह के आंतरिक नियंत्रण का दीर्घकालिक प्रभाव पर कोई समीक्षित अध्ययन उपलब्ध नहीं है, जो इसे एक अनुत्तरित प्रश्न बनाता है।
इस कदम से पार्टी में अनुशासन की नई शुरुआत की उम्मीद जताई जा रही है, वहीं विपक्ष इसे आंतरिक संकट का संकेत बता रहा है।