Bihar Politics: बिहार की राजनीति में एक बार फिर विवाद गहरा गया है। पूर्व सांसद आनंद मोहन ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव को घेरते हुए सरकारी नौकरियों के आंकड़े मांगे हैं। मोहन ने सवाल उठाया कि तेजस्वी यादव अपने पिता और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में हुई भर्तियों का जिक्र क्यों नहीं करते?
“नीतीश कुमार के कारण मिली नौकरियां, तेजस्वी नहीं थे मालिक”
मीडिया से बातचीत में आनंद मोहन ने कहा कि तेजस्वी यादव सिर्फ उसी दौर की बात करते हैं जब वह नीतीश कुमार के साथ उपमुख्यमंत्री थे। लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थे और उनकी नीतियों की वजह से लोगों को रोजगार मिला। तेजस्वी सिर्फ मैनेजर थे, मालिक नीतीश ही थे।
मोहन ने आरोप लगाया कि तेजस्वी का रुख नीतीश कुमार के साथ गठबंधन पर निर्भर करता है। अगर नीतीश RJD के साथ होते हैं, तो तेजस्वी उन्हें ‘चाणक्य’ बताते हैं। वहीं, अगर नीतीश अलग हो जाते हैं, तो उन्हें ‘रिटायर’ और ‘थका हुआ’ कहने लगते हैं। यह दोहरा रवैया ठीक नहीं है।
क्या छिपा रही है RJD? लालू यादव के कार्यकाल का रिकॉर्ड
आनंद मोहन ने तेजस्वी से पूछा कि क्या वह लालू यादव के 15 साल के शासन में हुई भर्तियों का ब्यौरा सार्वजनिक करेंगे? बिहार में अक्सर RJD पर “भाई-भतीजावाद और नौकरियों में पारदर्शिता की कमी” के आरोप लगते रहे हैं। विपक्षी दलों का दावा है कि लालू यादव के समय में “सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार” चरम पर था।
मोहन के बयान से बिहार की जटिल राजनीति का एक नया पहलू सामने आया है। जदयू और RJD के बीच गठबंधन टूटने के बाद नीतीश कुमार अक्सर तेजस्वी के निशाने पर रहे हैं। हालांकि, आनंद मोहन जैसे नेताओं का मानना है कि बिहार में “रोजगार और विकास” का श्रेय नीतीश कुमार को जाता है, न कि RJD को।