नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को संरक्षित करने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) की सरकार ने हमेशा मुस्लिम समुदाय के साथ इंसाफ किया है और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के हिस्से के रूप में यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। नायडू ने यह बात गुरुवार (27 मार्च) को विजयवाड़ा में राज्य सरकार की ओर से आयोजित इफ्तार समारोह में कही। एक्स पर अपने संदेश में उन्होंने लिखा, “रमजान के पवित्र महीने में विजयवाड़ा में इफ्तार कार्यक्रम में शामिल हुआ। मुस्लिम भाइयों के साथ अल्लाह से राज्य और इसके लोगों की भलाई की दुआ मांगी। मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि कल, आज और हमेशा मैं मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के साथ खड़ा रहूंगा।
इस मौके पर उनके साथ वक्त बिताना मेरे लिए सुखद अनुभव रहा।” नायडू ने इस मौके पर कहा कि तेदेपा ने अविभाजित आंध्र प्रदेश के समय से ही वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा की है और अब भी इसके लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय को भरोसा दिलाया कि एनडीए सरकार के तहत उनकी स्थिति में सुधार होगा। नायडू ने अल्पसंख्यक वित्त निगम का जिक्र करते हुए इसे पूर्व सीएम एनटी रामा राव की देन बताया, जिनके शासन में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए गए थे।
उन्होंने कहा कि तेदेपा के दौर में हैदराबाद में हज हाउस बना और अमरावती में भी इसकी नींव रखी गई, जो वाईएसआरसीपी सरकार की वजह से रुक गया। यह बयान ऐसे समय आया है, जब केंद्र की एनडीए सरकार द्वारा लाया गया वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 विवादों में है। यह विधेयक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट संसद में पेश हो चुकी है। 27 जनवरी को जेपीसी ने विधेयक को मंजूरी दी, जिसमें विपक्ष के 44 संशोधनों को खारिज और एनडीए के 14 को स्वीकार किया गया। विपक्ष के 11 सदस्यों ने इसे असंवैधानिक बताते हुए विरोध दर्ज किया। विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों को खतरे में डालेगा और नए विवाद पैदा करेगा।
उन्होंने समिति की प्रक्रिया में भी खामियां गिनाईं। केंद्र ने 8 अगस्त 2024 को यह विधेयक लोकसभा में पेश किया था, लेकिन विरोध के बाद इसे जेपीसी को सौंप दिया गया। समिति की पहली बैठक 22 अगस्त को हुई थी और इसे शीतकालीन सत्र के पहले हफ्ते तक रिपोर्ट देनी थी, जिसे विपक्ष ने बढ़ाने की मांग की। जेपीसी की बैठकों में कई बार तनाव देखा गया। विपक्ष ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर अध्यक्ष जगदंबिका पाल पर पक्षपात का आरोप लगाया, जबकि पाल ने कहा कि विपक्ष को बोलने का पूरा मौका दिया जाता है।