देहरादून : उत्तराखंड की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार ने राज्य के चार जिलों में 15 स्थानों के नाम बदलने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 31 मार्च को इस फैसले की जानकारी दी, जिसमें हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और उधम सिंह नगर जिले शामिल हैं। इनमें से अधिकतर स्थानों के पुराने नाम मुस्लिम शब्दावली से जुड़े थे, जिन्हें अब भारतीय संस्कृति और महापुरुषों के नाम पर बदला गया है। इस घोषणा के बाद विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रियाएँ दी हैं और इसे “ध्रुवीकरण की राजनीति” करार दिया है।
बदले गए स्थानों के नाम
हरिद्वार जिले में
- औरंगजेबपुर – शिवाजी नगर,
- गाजीवाली – आर्य नगर
- चांदपुर- ज्योतिबा फुले नगर
- मोहम्मदपुर जट- मोहनपुर जट
- ख़ानपुर कुर्सली- अंबेडकर नगर
- इंदरीशपुर- नंदपुर
- ख़ानपुर- श्री कृष्णपुर
- अकबरपुर फाजलपुर- विजयनगर
देहरादून में
- मियांवाला – रामजीवाला
- पीरवाला – केसरी नगर
- अब्दुल्लापुर – दक्ष नगर
- चांदपुर खुर्द- पृथ्वीराज नगर
नैनीताल में
- नवाबी रोड – अटल मार्ग
- पनचक्की से आईटीआई मार्ग- गुरु गोवलकर मार्ग
उधम सिंह नगर में
- सुल्तानपुर – कौशल्या पुरी
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “ये बदलाव जनभावनाओं और राज्य की संस्कृति के अनुरूप किए गए हैं, ताकि लोग अपनी विरासत और महापुरुषों से प्रेरणा ले सकें।”
विपक्ष का हमला
इस फैसले पर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने इसे “जनता का ध्यान भटकाने का ढोंग” बताया। उन्होंने कहा, “बीजेपी के पास पिछले साढ़े आठ सालों में दिखाने को कुछ नहीं है, इसलिए वे नाम बदलने का नाटक कर रहे हैं।”
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा, “उत्तराखंड का नाम भी उत्तर प्रदेश-2 कर दीजिए।”
वहीं, कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने इसे “ध्रुवीकरण की कोशिश” करार देते हुए सवाल किया, “क्या नाम बदलने से बेरोजगारी खत्म हो जाएगी?”
पहले भी हो चुके हैं नाम परिवर्तन
देश में पहले भी कई जगहों के नाम बदले जा चुके हैं। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2018 में इलाहाबाद को प्रयागराज और फैजाबाद को श्री अयोध्या बनाया था। महाराष्ट्र में औरंगाबाद अब छत्रपति संभाजी नगर और उस्मानाबाद धाराशिव नगर के नाम से जाना जाता है। दिल्ली में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड और मुगल गार्डन का नाम अमृत उद्यान किया गया था।
सरकार का पक्ष
मुख्यमंत्री धामी ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा, “लंबे समय से लोग चाहते थे कि ये नाम उनकी संस्कृति और देवभूमि के स्वरूप को प्रतिबिंबित करें। लोगों ने इस बदलाव का स्वागत किया है।” सरकार का दावा है कि यह कदम ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने के लिए उठाया गया है। हालांकि, इस घोषणा ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। जहाँ बीजेपी इसे अपनी विचारधारा का हिस्सा बता रही है, वहीं विपक्ष इसे जनता के असल मुद्दों से ध्यान हटाने की रणनीति करार दे रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और कितना तूल पकड़ता है, यह देखना बाकी है।