भारत के चुनावी परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव हुआ है। वरिष्ठ नौकरशाह ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के रूप में नियुक्त किया गया है, जो निवर्तमान राजीव कुमार का स्थान लेंगे। इस नियुक्ति के साथ ही, भारत के लोकतांत्रिक तंत्र में नई चयन प्रक्रिया के तहत नियुक्त होने वाले वे पहले मुख्य चुनाव आयुक्त बन गए हैं।
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नए कानून के तहत पहली नियुक्ति – क्या बदला?
पहले चुनाव आयोग के प्रमुख की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश की भूमिका होती थी, लेकिन हाल ही में लागू नए कानून के अनुसार, इस प्रक्रिया में अब गृह मंत्री को शामिल किया गया है। इस बदलाव को लेकर विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े करने वाला कदम बताया है।
चयन प्रक्रिया में राजनीतिक तनाव
सोमवार को तीन सदस्यीय चयन समिति ने बैठक कर इस पर फैसला लिया। इस समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और विपक्ष के नेता राहुल गांधी शामिल थे। हालांकि, कांग्रेस ने इस बैठक को टालने की मांग की थी, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया पर दायर याचिका पर सुनवाई पूरी न हो जाए। लेकिन सरकार ने इस मांग को नजरअंदाज करते हुए प्रक्रिया को आगे बढ़ाया।
कौन हैं ज्ञानेश कुमार?
1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार का प्रशासनिक अनुभव बेहद व्यापक और प्रभावशाली रहा है। पिछले साल से वे चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यरत थे। इससे पहले, वे केंद्रीय गृह मंत्रालय में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं।
उनकी उपलब्धियों में 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने वाली प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना शामिल है। इसके अलावा, अयोध्या में राम मंदिर से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संबंधित दस्तावेजों को संभालने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई थी।