नई दिल्ली: भारत ने अपनी नौसैनिक ताकत को बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने फ्रांस से 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए 63,000 करोड़ रुपये (लगभग 7.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की मेगा डील को मंजूरी दे दी है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस सौदे पर जल्द ही हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है। इस डील के तहत भारतीय नौसेना को 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर राफेल मरीन विमान प्राप्त होंगे। ये विमान स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य से संचालित होंगे, जिससे नौसेना की हवाई मारक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
इस सौदे में मेट्योर (एयर-टू-एयर), एक्सोसेट (एंटी-शिप) और स्कैल्प (क्रूज मिसाइल) जैसे हथियार प्रणालियाँ भी शामिल हैं, साथ ही प्रदर्शन-आधारित लॉजिस्टिक्स सपोर्ट और चालक दल के प्रशिक्षण के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम भी होंगे। यह डील 13 जुलाई 2023 को भारत के रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) द्वारा राफेल एम एफ4 वेरिएंट के लिए दी गई स्वीकृति के बाद आगे बढ़ी है। फ्रांस ने दिसंबर 2024 में भारत के प्रस्ताव का जवाब दिया था, जिसके बाद भारतीय पक्ष ने फ्रांसीसी बोली का विस्तृत अध्ययन किया। सितंबर 2024 में दसॉ एविएशन ने अपनी अंतिम कीमत पेश की, जो पहले के अनुमानों से कम थी, जिससे सौदे को अंतिम रूप देने में मदद मिली।
हालांकि, इस सौदे में भारत के स्वदेशी उत्तम एईएसए रडार और अस्त्र मिसाइलों को एकीकृत करने की मांग को शामिल नहीं किया गया। सूत्रों के अनुसार, इस एकीकरण से लागत में भारी वृद्धि और 8 साल की देरी होने का अनुमान था, जिसके चलते इसे छोड़ दिया गया। राफेल एम स्क्वाड्रन विशाखापत्तनम में आईएनएस देगा पर तैनात होगा और यह आईएनएस विक्रांत के कैरियर एयर ग्रुप का हिस्सा बनेगा। अनुबंध के अनुसार, पहले राफेल एम की डिलीवरी 37 महीनों के भीतर होगी, जबकि भारतीय नौसेना के लिए खासतौर पर डिज़ाइन किए गए राफेल एम वेरिएंट को 18 महीनों के भीतर प्रदर्शित करना होगा। यह सौदा भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।