Arvind Sahni Encounter: वैशाली जिले के चिंतामणिपुर में गुरुवार शाम उस वांछित अपराधी की कहानी खत्म हो गई, जिसकी गिरफ्तारी बिहार पुलिस के लिए लंबे समय से चुनौती बनी हुई थी। 30 वर्षीय अरविंद सहनी, जिस पर हत्या, लूट और डकैती के 22 गंभीर मामले दर्ज थे, समस्तीपुर कोर्ट से 28 मई को फरार होने के बाद से पुलिस को चकमा देता रहा। लेकिन बिहार पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई में वह एनकाउंटर में ढेर हो गया।
वैशाली, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी और समस्तीपुर में दहशत का दूसरा नाम बन चुका अरविंद बिहार से बाहर भी सक्रिय था। छत्तीसगढ़ में उसने एक बड़े सोना लूटकांड को अंजाम दिया था। हाजीपुर में 2019 के मुथूट फाइनेंस में 55 किलो सोना लूट में उसका नाम जुड़ा था। बिहार पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था, जबकि उसके दो साथियों मोहम्मद अनवर और मंजीत कुमार पर 25-25 हजार का इनाम था।
गुरुवार शाम पुलिस ने चिंतामणिपुर हाई स्कूल के पीछे बगीचे में अरविंद की लोकेशन ट्रेस की। घेराबंदी होते ही उसने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। करीब 20 राउंड गोलियां चलीं, जिसमें एक पुलिसकर्मी घायल हुआ और कुछ अन्य जवान भी जख्मी हुए। जवाबी कार्रवाई में अरविंद सहनी मौके पर ही मारा गया।
इससे पहले 3 अगस्त की रात भी पुलिस को मुजफ्फरपुर जिले के करजा थाना क्षेत्र में उसके जुटने की सूचना मिली थी, लेकिन वह बाइक और हथियार छोड़कर अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकला था। उसके फरार होने की सबसे बड़ी घटना 28 मई की है, जब समस्तीपुर कोर्ट में पेशी के बाद हवालात में मौजूद 4 अन्य अपराधियों के साथ उसने पुलिसकर्मियों को धक्का देकर भागने में सफलता पाई थी। उस दिन पांच कैदी भागे थे, जिनमें से एक को तुरंत पकड़ लिया गया, लेकिन अरविंद तब से फरार था।
अरविंद का अपराधिक नेटवर्क सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं था। किराना दुकानों पर हथियार के बल पर लूट, बैंक डकैती और सोना लूट जैसे मामलों में उसकी संलिप्तता ने पुलिस को लगातार सतर्क रखा। इतनी वारदातों के बाद भी उसकी बेलौस गतिविधियों ने उसे बिहार के सबसे कुख्यात अपराधियों में शुमार कर दिया था। 78 दिनों की फरारी के बाद उसका सफर एनकाउंटर में खत्म हुआ, लेकिन उसके अपराधिक गठजोड़ और नेटवर्क की जांच अब भी जारी है।






















