AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी शुक्रवार शाम को किशनगंज पहुंचे, जहां बहादुरगंज में कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। शनिवार सुबह 12 बजे किशनगंज के बहादुरगंज में ओवैसी जनसभा को संबोधित किया। सबसे पहले उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर उन्होंने दो मिनट का मौन रखा। उन्होंने कहा कि इस घटना की जितनी मजम्मत (निंदा) की जाये कम है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में हिन्दू-मुसलमान करने का समय नहीं है। इससे दहशतगर्दी को और हौसला मिलेगा। उनके आका खुश होंगे। ऐसे समय में हमें एक साथ दीवार बनकर खड़ा होना है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में बैठकर जो उलूल-जुलूल बयान दे रहे हैं वो जान लें कि भारत बहुत ताक़तवर है। तुम अपनी मिसाइलें चेक कर लो।
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संसद के दोनों सदनों में हाल ही में पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर ओवैसी ने कहा कि यह कानून मुसलमानों के खिलाफ है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) झूठ फैला रही है कि नया वक्फ कानून मुसलमानों, खासकर महिलाओं के लिए फायदेमंद है। हमें नये वक्फ कानून के खिलाफ लड़ना होगा। सीमांचल क्षेत्र में बिहार के चार उत्तर-पूर्वी जिले-पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार शामिल हैं। इस क्षेत्र में मुसलमानों की आबादी काफी है।
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बिहार के सीमांचल क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे ओवैसी ने कहा कि जातिगत जनगणना समाज के हर वर्ग के लिए न्याय और प्रभावी सकारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन हम केंद्र सरकार से जातिगत जनगणना के लिए निर्धारित समय सीमा जानना चाहते हैं। आप (केंद्र सरकार) इसे कब शुरू करेंगे और यह प्रक्रिया कब तक पूरी हो जाएगी? एआईएमआईएम प्रमुख ने दावा किया कि पसमांदा और गैर-पसमांदा मुसलमानों की अलग-अलग गणना की जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो कि लाभ हाशिये पर पड़े लोगों को मिले। अपडेट जातिगत आंकड़ों के अभाव के कारण निष्पक्ष नीतिगत निर्णय नहीं हो पा रहे हैं, जिससे देश को पुरानी पड़ चुकी 1931 की जाति जनगणना पर निर्भर रहना पड़ रहा है।