गुवाहाटी : असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सर्मा ने कांग्रेस सांसद और असम प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गौरव गोगोई पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। सर्मा ने दावा किया है कि गोगोई ने न केवल पाकिस्तान की यात्रा की थी, बल्कि उनकी पत्नी ने भी वहां नौकरी की थी। इसके साथ ही, उन्होंने गोगोई पर पाकिस्तानी प्रशासन के साथ घनिष्ठ संबंध रखने का आरोप लगाया, जिसे उन्होंने “अत्यंत गंभीर और चिंताजनक” बताया।
सर्मा ने बुधवार सुबह 10:30 बजे अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर असमिया भाषा में एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने कहा कि यह मामला “शुरुआत भर है, अंत नहीं।” उन्होंने दावा किया कि विश्वसनीय सूत्रों और दस्तावेजों के आधार पर यह साफ है कि गोगोई ने लंबे समय से पाकिस्तानी प्रशासन के साथ संपर्क बनाए रखा है। सर्मा ने यह भी घोषणा की कि असम सरकार इस मामले में पूरी पारदर्शिता बरतेगी और एक विशेष जांच दल (SIT) की जांच पूरी होने के बाद 10 सितंबर 2025 को सभी तथ्य जनता के सामने रखे जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पार्टी और इसके नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने “ऐसे खतरनाक और संदिग्ध व्यक्ति” को राजनीतिक नेतृत्व में स्थापित करने की कोशिश की, जिसे जनता न तो भूलेगी और न ही माफ करेगी। सर्मा ने इसे राष्ट्रीय हितों के खिलाफ एक “चरम समझौता” करार दिया।
पहले भी लग चुके हैं गोगोई पर आरोप
यह पहली बार नहीं है जब गौरव गोगोई पर ऐसे आरोप लगे हैं। इससे पहले फरवरी 2025 में बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने गोगोई की पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से connections होने का आरोप लगाया था। मई 2025 में भी सर्मा ने दावा किया था कि गोगोई को ISI के निमंत्रण पर पाकिस्तान में प्रशिक्षण मिला था और उनके पास इसके दस्तावेजी सबूत हैं।
गोगोई ने दी थी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
गौरव गोगोई ने इन आरोपों को “बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण” बताते हुए कानूनी कार्रवाई की धमकी दी थी। कांग्रेस के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने भी इन आरोपों को असम के मुख्यमंत्री के “कुकर्मों” से ध्यान हटाने की कोशिश करार दिया था। गोगोई ने पहले यह भी कहा था कि वह SIT जांच के लिए तैयार हैं।
बीजेपी की रणनीति या राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल?
यह विवाद असम की सियासत में एक नया तूफान खड़ा कर सकता है। सर्मा का यह बयान बीजेपी की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें वह विपक्षी नेताओं को “पाकिस्तान समर्थक” करार देकर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को भुनाने की कोशिश करती है। हालांकि, सर्मा ने इसे राष्ट्रीय हितों से जोड़ते हुए कहा कि यह केवल एक सांसद का मामला नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा से जुड़ा सवाल है।
अब सबकी नजरें 10 सितंबर पर टिकी हैं, जब SIT अपनी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करेगी। तब तक यह मामला असम और राष्ट्रीय राजनीति में चर्चा का केंद्र बना रहे है।