बिहार की राजनीति और शिक्षा व्यवस्था के बीच एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। राज्य सरकार में मंत्री अशोक चौधरी के लेक्चरर (Ashok Choudhary Lecturer Case) बनने से जुड़ा मामला अब जांच के दायरे में आ गया है। खुद बिहार के शिक्षा मंत्री ने इस पर बड़ा और स्पष्ट बयान देते हुए कहा है कि अशोक चौधरी के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में तकनीकी गड़बड़ियां पाई गई हैं, जिसके कारण फिलहाल उनकी नियुक्ति संभव नहीं है।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि इस पूरे प्रकरण को लेकर संबंधित आयोग को आधिकारिक पत्र भेज दिया गया है। आयोग से अनुरोध किया गया है कि वह अशोक चौधरी के सभी शैक्षणिक दस्तावेजों, योग्यता और नियमों के अनुपालन की सूक्ष्म जांच करे। दरअसल, मंत्री अशोक चौधरी के लेक्चरर बनने को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही थी। लेकिन शिक्षा विभाग की प्रारंभिक जांच में उनके सर्टिफिकेट और योग्यता से जुड़ी कुछ तकनीकी खामियां सामने आईं। इसके बाद विभाग ने सीधे निर्णय लेने के बजाय मामले को आयोग के हवाले कर दिया।
शिक्षा मंत्री ने दो टूक कहा कि सरकार नियमों से ऊपर नहीं है। चाहे कोई मंत्री हो या आम नागरिक, सभी के लिए नियम समान हैं। शिक्षा मंत्री ने साफ किया कि जब तक आयोग अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देता, तब तक इस मामले में कोई अंतिम फैसला नहीं लिया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार की मंशा पूरी तरह पारदर्शी है और किसी भी स्तर पर विशेष रियायत नहीं दी जाएगी।
फिलहाल शिक्षा विभाग आयोग की रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है। आयोग द्वारा दस्तावेजों की जांच पूरी होने के बाद ही यह तय होगा कि अशोक चौधरी लेक्चरर बनने के योग्य हैं या नहीं। अगर गड़बड़ियां साबित होती हैं, तो उनकी नियुक्ति पर पूरी तरह रोक लग सकती है।






















