Bihar के बहुचर्चित अलकतरा घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य आरोपी कृष्ण कुमार केडिया को राहत देने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने पटना हाईकोर्ट द्वारा 6 अप्रैल 2018 को सुनाई गई सजा को लगभग बरकरार रखते हुए कहा कि अब आरोपी को जेल की शेष सजा भुगतनी होगी।
हालांकि, उनकी उम्र को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 5 साल की सजा को घटाकर 3 साल कर दिया, लेकिन कोर्ट ने साफ कहा है कि चूंकि वह जमानत पर हैं, इसलिए उन्हें अब बिना देरी के खुद सरेंडर करना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करते हैं, तो पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने का अधिकार दिया गया है।
यह निर्णय जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अगस्टिन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने दिया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने यह फैसला सुनाया।
क्या था अलकतरा घोटाला?
इस घोटाले की जड़ 1994 में जाकर जुड़ती है, जब सहरसा के कार्यपालक अभियंता ने सड़क निर्माण में प्रयोग होने वाले अलकतरा (बिटुमिन) की आपूर्ति में भारी गड़बड़ी की शिकायत दर्ज करवाई थी। उस समय यह उजागर हुआ कि भारी मात्रा में अलकतरा की आपूर्ति के नाम पर सरकारी धन का गबन किया गया था।
इस मामले में चार लोगों को अभियुक्त बनाया गया, जिनमें से कृष्ण कुमार केडिया मुख्य अभियुक्त रहे। ट्रायल के दौरान दो अभियुक्तों – पांचू महतो और भगवान प्रसाद पोद्दार – की मृत्यु हो जाने के कारण उनके खिलाफ मामला बंद कर दिया गया। वहीं एक अन्य अभियुक्त महेश्वर प्रसाद को सरकारी गवाह बनाकर माफ कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट में अपील करते हुए केडिया ने अपनी बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य का हवाला देकर राहत मांगी थी। उनकी ओर से सीनियर वकील अंजना प्रकाश ने पक्ष रखा, जबकि सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस.डी. संजय ने उनका विरोध किया।