Atal Bihari Vajpayee Jayanti Bihar: पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती बिहार में केवल स्मरण का अवसर नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की सामूहिक अभिव्यक्ति का दिन बन गई। बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के तत्वावधान में इसे पूरे प्रदेश में “प्रखरता दिवस” के रूप में मनाया गया। राजधानी पटना के राजवंशी नगर स्थित पंचरूपी हनुमान मंदिर से लेकर राज्य के सैकड़ों मठ-मंदिरों तक एक ही स्वर गूंजा—हनुमान चालीसा का पाठ और अटल जी के विचारों का स्मरण।
पटना में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय सरावगी ने अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा कि अटल जी केवल एक प्रधानमंत्री नहीं थे, बल्कि वे सनातन संस्कृति को आधुनिक भारत की आत्मा से जोड़ने वाले युगद्रष्टा थे। उन्होंने कहा कि अटल जी रामभक्त भी थे और हनुमान भक्त भी, और उनका संपूर्ण राजनीतिक जीवन राष्ट्र, संस्कृति और मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पित रहा।
संजय सरावगी ने कहा कि पोखरण में परमाणु परीक्षण कर अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को सैन्य शक्ति के क्षेत्र में विश्व की चौथी महाशक्ति बनाया। यह निर्णय केवल सामरिक नहीं था, बल्कि भारत के आत्मविश्वास और स्वाभिमान का प्रतीक था। उन्होंने कहा कि अटल जी दिलों को जोड़ने वाले राजनेता थे, जिनकी स्वीकार्यता विपक्ष तक में थी। यही कारण है कि आज भी उनका स्मरण समाज के हर वर्ग को एक सूत्र में बांध देता है।
राजवंशी नगर पंचरूपी हनुमान मंदिर परिसर में इस अवसर पर 1100 हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया गया। मंदिर के बाहर आमजनता की भारी भीड़ उमड़ी, जहां श्रद्धालुओं ने पूरे भाव और भक्ति के साथ चालीसा का पाठ किया। कार्यक्रम के दौरान गरीब और जरूरतमंद लोगों के बीच कंबल वितरण भी किया गया, जिससे अटल जी के सेवा और संवेदना के विचारों को जमीन पर उतारने का प्रयास किया गया।
बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष और पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणबीर नंदन ने अपने संबोधन में कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के लिए हिंदुत्व किसी संकीर्ण परिभाषा का नाम नहीं था। उनके लिए हिंदुत्व भारत की सांस्कृतिक चेतना, उसकी परंपराएं, उसकी सहिष्णुता और उसका मानवीय दृष्टिकोण था। वे अक्सर कहा करते थे कि हिंदुत्व भारत को जोड़ने वाली शक्ति है, तोड़ने वाली नहीं। प्रो. नंदन ने कहा कि आज अटल जी की जयंती पर पूरे बिहार के मठ-मंदिरों में हनुमान चालीसा का पाठ उसी विचार का जीवंत उदाहरण है।
प्रो. रणबीर नंदन ने यह भी कहा कि हनुमान जी आज भी विद्यमान हैं और सब कुछ देख रहे हैं। हनुमान चालीसा का पाठ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मानसिक शक्ति, आत्मबल और कष्टों से मुक्ति का मार्ग है। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने में युवाओं की भूमिका सबसे अहम है और कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवाओं की भागीदारी प्रदेश के लिए शुभ संकेत है।
संजय सरावगी ने अपने वक्तव्य में मैथिली भाषा को अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अटल जी के इस ऐतिहासिक निर्णय के कारण आज बड़ी संख्या में मैथिली भाषा के छात्र यूपीएससी जैसी परीक्षाओं में सफलता हासिल कर रहे हैं। यह निर्णय न केवल भाषाई सम्मान का प्रतीक था, बल्कि सामाजिक न्याय और सांस्कृतिक संरक्षण का भी उदाहरण था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता धार्मिक न्यास पर्षद के सदस्य एवं संयोजक आनंद कुमार ने की। संचालन राजवंशी नगर हनुमान मंदिर न्यास के सदस्य आलोक कुमार ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन मोहित प्रकाश ने प्रस्तुत किया। अतिथियों का स्वागत प्रेम कुमार ने किया। इस अवसर पर दीघा विधानसभा क्षेत्र के विधायक संजीव चौरसिया, भाजपा के वरिष्ठ नेता अनिल शर्मा, बाल श्रमिक आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद सिंह, संस्कृत बोर्ड की पूर्व अध्यक्ष भारती मेहता, धार्मिक न्यास पर्षद के सदस्य शायन कुणाल, दयानंद कुमार, हेमराज राम और रामबहादुर सिंह सहित कई गणमान्य लोगों ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में भाजपा नेता अमरेंद्र सिंह, मंदिर न्यास समिति के सदस्य राजकिशोर सिंह समेत हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। पूरे वातावरण में भक्ति, राष्ट्रभाव और अटल जी के विचारों की गूंज महसूस की गई।
बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद द्वारा यह आयोजन केवल पटना तक सीमित नहीं रहा। प्रखरता दिवस के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती बिहार के सभी जिलों में मनाई गई। प्रो. रणबीर नंदन ने बताया कि इस अवसर पर राज्यभर के मठों और मंदिरों में 1100 हनुमान चालीसा पाठ, बीजक पाठ और गरीबों के बीच कंबल वितरण किया गया। पटना, गया, भागलपुर, मुंगेर, मधुबनी, सीतामढ़ी, दरभंगा, रोहतास, औरंगाबाद, सिवान, पश्चिम और पूर्वी चंपारण, नालंदा, नवादा, अरवल, जहानाबाद, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, जमुई, बेगूसराय, वैशाली सहित सैकड़ों स्थानों पर मंदिरों और मठों में श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से अटल जी को श्रद्धांजलि दी।






















