अरुणाचल प्रदेश के लोंगडिंग जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां संदिग्ध उग्रवादियों ने भारत-म्यांमार सीमा के पास सुरक्षाबलों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं। यह घटना गुरुवार, 5 जून 2025 को हुई, जब सुरक्षाबल पोंगचाऊ क्षेत्र में गश्त कर रहे थे। रक्षा अधिकारियों के अनुसार, गश्ती दल ने हथियारबंद लोगों की हलचल देखी और उन्हें चुनौती दी, जिसके बाद उग्रवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई की, लेकिन घने जंगलों का फायदा उठाकर उग्रवादी म्यांमार की ओर भागने में सफल रहे।
घटना का विवरण
रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि इस घटना से पहले खुफिया जानकारी मिली थी कि पोंगचाऊ सर्कल क्षेत्र में एक अज्ञात उग्रवादी संगठन के सदस्य सक्रिय हैं। इसके बाद सुरक्षाबलों ने सीमा क्षेत्रों पर नियंत्रण के लिए गश्त शुरू की। हालांकि, तलाशी अभियान के बावजूद उग्रवादी जंगल की आड़ में भागने में कामयाब हो गए। भारत और म्यांमार के बीच 1,643 किलोमीटर लंबी असुरक्षित सीमा है, जिसमें से 520 किलोमीटर से अधिक अरुणाचल प्रदेश से लगती है, जो इस तरह की घटनाओं के लिए एक चुनौती बनी हुई है।
हाल के घटनाक्रम
हाल ही में, 6 जून 2025 को इसी क्षेत्र में एक अन्य मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-खापलांग (NSCN-K YA) के दो उग्रवादियों, सर्जेंट मेजर न्याकलुंग और लांस कॉर्पोरल नेयुंग औंग को मार गिराया था। रक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, यह कार्रवाई खुफिया इनपुट के आधार पर की गई थी, और उग्रवादियों ने भारी हथियारों से जवाबी गोलीबारी की थी। NSCN (YA) ने इसे एक “अच्छी तरह से समन्वित घात” करार देते हुए अपने दोनों जवानों की मौत की पुष्टि की है।
क्षेत्र में AFSPA का प्रावधान
अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) लागू है, जिसे मार्च 2025 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छह महीने के लिए बढ़ाया था। यह कानून सुरक्षाबलों को अशांत क्षेत्रों में बिना वारंट के कार्रवाई करने और गिरफ्तारी करने का अधिकार देता है। यह कदम क्षेत्र में बढ़ती उग्रवादी गतिविधियों और सीमा सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए उठाया गया है।
स्थिति और भविष्य की रणनीति
वर्तमान में भारत-म्यांमार सीमा पर निगरानी बढ़ा दी गई है, और सुरक्षाबल सिविल प्रशासन तथा खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय कर शांति बनाए रखने के प्रयास में जुटे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि असुरक्षित सीमा और जंगली इलाके उग्रवादियों के लिए पनाहगाह बने हुए हैं, जिसके चलते बार-बार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं।