रांची : झारखंड में कथित 100 करोड़ रुपये के शराब घोटाले ने सियासी हलचल मचा दी है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मरांडी ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा कि यह घोटाला दिल्ली के शराब घोटाले से भी बड़ा है और इसमें मुख्यमंत्री की भूमिका संदेह के घेरे में है।
मरांडी ने अपने पोस्ट में लिखा, “मैं पहले भी कई बार कह चुका हूं कि झारखंड का शराब घोटाला दिल्ली शराब घोटाले से भी कहीं बड़ा है। अब ACB ने भी इस बात की पुष्टि की है कि झारखंड में 100 करोड़ रुपये का शराब घोटाला हुआ है।” उन्होंने आगे कहा कि इतना बड़ा घोटाला सिर्फ विभागीय अधिकारियों और प्लेसमेंट एजेंसी तक सीमित नहीं हो सकता।
इस घोटाले में छत्तीसगढ़ की कंपनियों को शराब कारोबार का जिम्मा सौंपे जाने का जिक्र करते हुए मरांडी ने सवाल उठाया कि इन कंपनियों से हेमंत सोरेन को किन माध्यमों से आर्थिक लाभ पहुंचाया गया। उन्होंने मांग की कि एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) इस मामले में मुख्यमंत्री को समन कर उनका पक्ष जाने और बिना किसी राजनीतिक दबाव के उनकी भूमिका की निष्पक्ष जांच करे।
घोटाले का पर्दाफाश: ACB की कार्रवाई
हाल ही में ACB ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए झारखंड के पूर्व उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया था। दोनों को 20 मई 2025 को रांची में हिरासत में लिया गया और बाद में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। जांच में पता चला कि झारखंड की उत्पाद नीति में बदलाव कर छत्तीसगढ़ की एक शराब सिंडिकेट को फायदा पहुंचाया गया, जिसके कारण राज्य को करीब 38 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
छत्तीसगढ़ कनेक्शन और ED की जांच
यह घोटाला छत्तीसगढ़ से जुड़े एक बड़े रैकेट का हिस्सा माना जा रहा है। सितंबर 2024 में छत्तीसगढ़ की ACB ने एक FIR दर्ज की थी, जिसमें विनय चौबे का नाम शामिल था। चौबे उस समय हेमंत सोरेन के प्रधान सचिव थे, जब 2022 में झारखंड में नई उत्पाद नीति लागू की गई थी। जांच में खुलासा हुआ कि इस नीति के तहत निविदा मानदंडों में बदलाव कर छत्तीसगढ़ की कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया। इन कंपनियों पर नकली होलोग्राम के साथ अवैध शराब की आपूर्ति और विदेशी शराब के वितरण में धांधली का आरोप है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी इस मामले में छत्तीसगढ़ और झारखंड के अधिकारियों पर शिकंजा कसा है। अक्टूबर 2024 में ED ने चौबे के ठिकानों पर छापेमारी की थी और कई लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें छत्तीसगढ़ के पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा भी शामिल हैं।
बीजेपी का हमला, विपक्ष का पलटवार
मरांडी ने अपने पोस्ट में बीजेपी के शीर्ष नेताओं, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को टैग करते हुए इस मामले को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की कोशिश की है। हालांकि, उनके इस पोस्ट पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ यूजर्स ने मरांडी के आरोपों का समर्थन किया, तो कुछ ने इसे राजनीतिक स्टंट करार दिया।
यह घोटाला झारखंड की सियासत में एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। मरांडी ने पहले भी राज्य में भ्रष्टाचार और अवैध कारोबार को लेकर आवाज उठाई है, जिसमें धनबाद में अवैध कोयला कारोबार का मुद्दा शामिल है। अब देखना यह है कि ACB इस मामले में कितनी निष्पक्षता से जांच करती है और क्या हेमंत सोरेन पर लगे आरोपों की सच्चाई सामने आ पाती है।
इस बीच, बीजेपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के बीच सियासी जंग तेज होने की संभावना है, खासकर तब जब राज्य में विधानसभा चुनावों की चर्चा जोर पकड़ रही है।