Baikunthpur Vidhan Sabha 2025: गोपालगंज जिले की बैकुण्ठपुर विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 99) बिहार की राजनीति में बेहद अहम मानी जाती है। इस सीट की सबसे बड़ी खासियत यह रही है कि यहां किसी एक पार्टी का लंबे समय तक दबदबा कायम नहीं रह पाया है। बैकुण्ठपुर का राजनीतिक इतिहास इस बात का गवाह है कि यहां मतदाता हर चुनाव में बदलाव का संकेत देते रहे हैं। अब तक हुए विधानसभा चुनावों में यहां कांग्रेस 5 बार, आरजेडी और जनता दल 2-2 बार, भाजपा, जेडीयू, समता पार्टी, समता पार्टी (जेपी), जनता पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और निर्दलीय प्रत्याशी 1-1 बार विजयी हो चुके हैं।
चुनावी इतिहास
बैकुण्ठपुर में 2015 का चुनाव खास था, क्योंकि जेडीयू और आरजेडी उस समय महागठबंधन में साथ थे, लेकिन भाजपा ने सबको चौंकाते हुए पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज की। भाजपा के मिथिलेश तिवारी ने 56,162 वोट हासिल कर जेडीयू के मंजीत कुमार सिंह को हराया, जिन्हें 42,047 वोट मिले। इससे पहले 2010 में जेडीयू के मंजीत कुमार विजयी हुए थे और आरजेडी के देवदत्त प्रसाद दूसरे स्थान पर रहे थे। 2005 के दोनों चुनावों में आरजेडी के देवदत्त प्रसाद ने जीत दर्ज की थी, जबकि 2000 में एसएपी के मंजीत कुमार विजेता बने थे।
2020 का विधानसभा चुनाव बैकुण्ठपुर की राजनीतिक दिशा बदलने वाला साबित हुआ। इस बार आरजेडी ने मजबूती दिखाई और प्रेम शंकर पासवान ने भाजपा के मिथिलेश तिवारी को 11,113 वोटों के अंतर से शिकस्त दी। प्रेम शंकर पासवान को 67,807 वोट मिले, जबकि मिथिलेश तिवारी को 56,694 वोटों पर संतोष करना पड़ा। इस चुनाव में निर्दलीय मंजीत सिंह ने भी प्रभावशाली प्रदर्शन किया और 43,081 वोट हासिल किए।
जातीय समीकरण
बैकुण्ठपुर सीट पर जातीय समीकरण भी बेहद निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यहां मुस्लिम, राजपूत, यादव और ब्राह्मण समुदाय की अच्छी खासी संख्या है, जबकि रविदास और पासवान वोटर भी नतीजों पर बड़ा असर डालते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या 4,23,087 है, जिसमें पूरी तरह ग्रामीण आबादी है। अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी 11.35% और अनुसूचित जनजाति की 1.06% है। 2019 की मतदाता सूची बताती है कि यहां कुल 3,05,583 पंजीकृत मतदाता मौजूद हैं।
2025 का चुनावी महासंग्राम बैकुण्ठपुर में दिलचस्प होने वाला है। आरजेडी जहां 2020 की जीत को दोहराने की कोशिश में होगी, वहीं भाजपा अपनी खोई हुई सीट वापस पाने के लिए जोर लगाएगी। दूसरी ओर, जेडीयू और अन्य दल जातीय समीकरण साधकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर सकते हैं। बदलते राजनीतिक रुझान और स्थानीय समीकरणों को देखते हुए बैकुण्ठपुर विधानसभा सीट एक बार फिर बिहार की राजनीति में सुर्खियों में रहने वाली है।






















