पूर्णिया जिले की Baisee Vidhansabha बायसी विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या-57) बिहार की उन अहम सीटों में गिनी जाती है, जहां चुनावी मुकाबले हमेशा दिलचस्प रहे हैं। 1951 में अस्तित्व में आई इस सीट पर शुरुआती दौर में कांग्रेस और समाजवादी दलों का दबदबा था, लेकिन बीते दो दशकों में यहां का राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदला है। 2005 में निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया, 2010 में भाजपा ने कब्जा जमाया, 2015 में राजद विजयी हुई और 2020 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने यहां से ऐतिहासिक जीत हासिल की।
चुनावी इतिहास
2015 के विधानसभा चुनाव में राजद प्रत्याशी अब्दुस सुबहान ने 67,022 वोट पाकर जीत दर्ज की थी। निर्दलीय उम्मीदवार बिनोद कुमार 28,282 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर जेएपीएल के सैयद रुकनुद्दीन अहमद को 21,404 वोट मिले, जबकि AIMIM चौथे स्थान पर सिमट गई थी।
Amour Vidhansabha: सीमांचल की इस सीट पर NDA के लिए होगी बड़ी चुनौती
लेकिन 2020 का चुनाव समीकरण पूरी तरह बदल गया। AIMIM के सैयद रुकनुद्दीन अहमद ने भाजपा प्रत्याशी विनोद कुमार यादव को 16,373 वोटों से हराकर जीत हासिल की। रुकनुद्दीन को 68,416 वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी को 52,043 वोट मिले। राजद के अब्दुस सुबहान 38,254 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे। इस नतीजे ने स्पष्ट किया कि AIMIM मुस्लिम वोटों को एकजुट कर पाने में सफल रही और यही निर्णायक फैक्टर साबित हुआ।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण की बात करें तो बायसी विधानसभा एक अल्पसंख्यक बहुल इलाका है। कुल 2,73,722 मतदाताओं में से लगभग 60 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं, जबकि शेष में यादव, कोइरी, रविदास और अन्य पिछड़े वर्ग के मतदाता शामिल हैं। यही कारण है कि यहां से ज्यादातर उम्मीदवार मुस्लिम समुदाय से होते हैं। लेकिन जब मुस्लिम वोटों में बिखराव होता है, तब हिंदू मतदाता चुनाव परिणाम का रुख बदलने में निर्णायक हो जाते हैं।
2025 का चुनाव बायसी विधानसभा में बेहद रोचक होने वाला है। AIMIM अपने गढ़ को बचाने की कोशिश करेगी, जबकि राजद और भाजपा दोनों अपने खोए जनाधार को पुनः हासिल करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। कांग्रेस भी यहां समीकरण साधने की कोशिश में जुट सकती है। ऐसे में यह सीट बिहार की राजनीति में एक बार फिर चर्चा का बड़ा केंद्र बनने वाली है।






















