Bakhtiarpur Election 2025: बिहार की राजनैतिक धरती पर बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 180) हमेशा से अहम माना गया है। पटना जिले में स्थित इस सीट को राजनैतिक दलों के लिए दूध की नदियाँ समझा जाता है, क्योंकि यहीं से जातीय समीकरण, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और वोटर बुनावट मिलकर तय करती है कि अगला विधायक कौन होगा। पिछले तीन दशकों से भाजपा और राजद का पुराना टकराव इस सीट पर चल रहा है, लेकिन इस बार राजनीति का वृत्त एक नई दिशा में घूमता दिख रहा है।
चुनावी इतिहास
1951 से लेकर नवबीत वर्षों तक कांग्रेस का प्रभुत्व इस क्षेत्र में रहा, लेकिन 1990 के बाद से उसका वजूद घटता गया। तब से अब तक कांग्रेस एक भी बार इस सीट से जीत नहीं पायी। उसके बाद से भाजपा और राजद के बीच हार-जीत का सिलसिला चल पड़ा है। वर्तमान में यह सीट राजद के कब्जे में है और वर्तमान विधायक अनिरुद्ध कुमार हैं।
Mokama Vidhansabha 2025: बाहुबली छवि, जातीय समीकरण और महागठबंधन बनाम भाजपा की जंग
2015 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने एक जोरदार वापसी की थी। भाजपा के रणविजय सिंह यादव ने राजद के अनिरुद्ध कुमार को भारी अंतर से शिकस्त दी थी। उस समय रणविजय को लगभग 61 हजार वोट मिले, जबकि अनिरुद्ध के हिस्से में करीब 53 हजार वोट ही आए। लेकिन 2020 का रुझान पूरी तरह बदल गया। राजद के अनिरुद्ध कुमार ने भाजपा के प्रतिद्वंद्वी रणविजय सिंह यादव को 20672 वोटों के अंतर से हराया, जिसमें उन्हें लगभग 52.17 प्रतिशत वोट मिले, जबकि भाजपा को लगभग 40.12 प्रतिशत ही मिला।
जातीय समीकरण
वोटर संख्या और जातीय समीकरण इस सीट की राजनीति की रीढ़ हैं। 2020 में मतदाता सूची में लगभग 3,38,615 वोटर दर्ज थे; जिनमें पुरुष 1,75,896 और महिलाएं 1,62,712 थीं। इस क्षेत्र की अधिकांश आबादी ग्रामीण है — लगभग 84.5 प्रतिशत वोटर गांवों से आते हैं और शहरी इलाकों का हिस्सा लगभग 15.44 प्रतिशत है। इस हिसाब से ग्रामीण मुद्दे, बुनियादी विकास, कृषि, सड़क-नाली, बिजली-पानी जैसे मुद्दे इस सीट पर निर्णायक होते हैं।
जातिगत समीकरण भी इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यादव मतदाता इस क्षेत्र में सबसे निर्णायक वोट बैंक है। इसके साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग, भूमिहार, राजपूत, मुस्लिम, कुर्मी, वैश्य समुदाय के मतदाता भी पर्याप्त संख्या में हैं, जो गठबंधन और उम्मीदवारों की रणनीति पर असर डालते हैं।






















