इस्लामाबाद : बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने एक बार फिर पाकिस्तान और चीन को कड़ी चेतावनी दी है। बीएलए ने कहा है कि अगर दोनों देश बलूचिस्तान से नहीं हटे, तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। यह धमकी ऐसे समय में आई है, जब बलूचिस्तान में बीएलए के हमले तेज हो गए हैं, जिससे क्षेत्र में तनाव चरम पर है।
बीएलए का बयान और हमले की पृष्ठभूमि
बीएलए ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट के जरिए यह चेतावनी दी। पोस्ट में एक तस्वीर साझा की गई, जिसमें हथियारबंद बीएलए लड़ाके पहाड़ी इलाके में दिखाई दे रहे हैं। पोस्ट में लिखा गया, “अगर आप मरना नहीं चाहते, तो बलूचिस्तान से चले जाइए।”
बीएलए का यह बयान हाल के महीनों में उनके बढ़ते हमलों के बाद आया है। मार्च 2025 में, बीएलए ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के एक बस पर हमला किया था, जिसमें 90 सैनिकों के मारे जाने का दावा किया गया था। इसके अलावा, अक्टूबर 2024 में ग्वादर में चीनी नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए एक आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी भी बीएलए ने ली थी।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पर खतरा
बलूचिस्तान, जहां चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के तहत कई परियोजनाएं चल रही हैं, लंबे समय से अशांत रहा है। ग्वादर बंदरगाह, जो CPEC का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्षेत्रीय व्यापार में अहम भूमिका निभाने की क्षमता रखता है। हालांकि, बीएलए ने इन परियोजनाओं का विरोध करते हुए कहा है कि चीन और पाकिस्तान मिलकर बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर रहे हैं, जिसका फायदा स्थानीय लोगों को नहीं मिल रहा।
बीएलए का आरोप है कि इन परियोजनाओं से स्थानीय आबादी विस्थापित हो रही है और उनकी आजीविका खतरे में है।
चीन की सैन्य सहायता की पेशकश
बढ़ते हमलों के बीच, चीन ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता देने की बात कही है। मार्च 2025 में, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने हमलों की निंदा करते हुए कहा था कि बीजिंग इस्लामाबाद के साथ आतंकवाद-रोधी और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए तैयार है। सूत्रों के अनुसार, चीन बलूचिस्तान में अपनी सेना तैनात करने पर विचार कर रहा है, ताकि CPEC परियोजनाओं और अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और क्षेत्रीय तनाव
पकिस्तान सुरक्षा बल बीएलए के बढ़ते प्रभाव को रोकने में नाकाम रहे हैं। हाल के हमलों ने पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर किया है। बीएलए ने न केवल सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है, बल्कि CPEC से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर भी हमले किए हैं।
दूसरी ओर, पाकिस्तान ने भारत, अफगानिस्तान और ईरान पर बलूचिस्तान में अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि क्षेत्रीय भू-राजनीति और CPEC की वजह से बलूचिस्तान एक बड़े संघर्ष का केंद्र बन सकता है। अगर स्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह न केवल CPEC परियोजनाओं को प्रभावित करेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र में सुरक्षा संकट पैदा कर सकता है।
बीएलए की मांगें और हमले न केवल पाकिस्तान के लिए, बल्कि चीन और अन्य हितधारकों के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गए हैं।