नई दिल्ली : पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में एक बार फिर हिंसा की लपटें भड़क उठी हैं। बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF) ने शुक्रवार को बैक-टू-बैक तीन हमले किए, जिसमें सेना की चौकियों को निशाना बनाया गया और चागी जिले में एक तेल टैंकर को पूरी तरह तबाह कर दिया गया। इन हमलों ने क्षेत्र में आजाद बलूचिस्तान की मांग को और तेज कर दिया है।
BLF के प्रवक्ता मेजर गवाहराम बलोच के अनुसार, संगठन ने खारान और हेर्रोंक में सेना की चौकियों पर ग्रेनेड लॉन्चर से हमला किया, जिसमें कई सैनिकों के मारे जाने और सेना के ठिकानों को नष्ट करने का दावा किया गया। उसी रात चागी में क्वेटा-ताफ्तान हाईवे पर एक तेल टैंकर को निशाना बनाया गया, हालांकि ड्राइवर को सुरक्षित छोड़ दिया गया। ये हमले बलूचिस्तान की आजादी के लिए लड़ाई का हिस्सा बताए जा रहे हैं, जिसमें BLF ने स्थानीय संसाधनों के शोषण और लोगों के दमन का आरोप पाकिस्तानी सेना पर
इन घटनाओं के बाद पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने इलाके में तलाशी अभियान तेज कर दिया है, लेकिन अभी तक नुकसान की आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय से उपेक्षा और अशांति के कारण स्थानीय लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है, जो इस अलगाववादी आंदोलन को हवा दे रहा है।
बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट की स्थापना 1964 में जुम्मा खान मर्री ने की थी, और 2004 में अल्लाह नजर बलूच के नेतृत्व में यह फिर सक्रिय हुआ। संगठन ने 1973-77 और 1968-73 के विद्रोहों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हाल के वर्षों में BLF ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को भी निशाना बनाया है, जिसे वह स्थानीय संसाधनों के शोषण से जोड़ता है। 2021 में इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज इस्लामाबाद की एक रिपोर्ट ने भी बलूचिस्तान में आर्थिक असमानता को उजागर किया था।
बलूचिस्तान में 2009 से अब तक जातीय हिंसा में 500 से अधिक नागरिकों की मौत हो चुकी है, जो इस क्षेत्र में अस्थिरता की गंभीर तस्वीर पेश करता है। इसके बावजूद पाकिस्तान सरकार स्थिरता का दावा करती रही है, लेकिन ये हमले उस दावे को चुनौती देते हैं।
पाकिस्तानी सेना की ओर से जवाबी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है, जबकि BLF का कहना है कि यह उनकी आजादी की लड़ाई का हिस्सा है। इस घटनाक्रम से क्षेत्र में तनाव और बढ़ने की आशंका है, जो दक्षिण एशिया के भू-राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।